क्रांति ही जीवन

                     मनुष्य हर वक़त विवादों में घिरे रहना पसंद करता है क्युकी यही उसे आगे बड़ने की राह दिखाती है अगर वो एसा  न करे तो आगे का सफ़र उसके लिए मुश्किल हो जाता है ! मानव का स्वभाव  ही कुच्छ एसा है की वो जितनी भी मेहनत करता है तो उसके पिच्छे उसका अपना सवार्थ है ! उसका अंदाज अलग हो सकता है पर  लक्ष्य सिर्फ एक की मुझे ख़ुशी केसे मिलेगी ?  क्या करने से मिलेगी ? हम सब  इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं पर इस सत्य को अपनाने से इंकार करते हैं ! जीवन में हम जितनी मेहनत करते हैं हमे सिर्फ वही वापस मिलता है लेकिन फिर भी हम किसी दुसरे का सहारा खोजते रहते हैं की शायद वो हमसे बेहतर हमारे लिए कर सकेगा ! कहने का तात्पर्य यह है की जब सब कुच्छ हमारे करने पर ही निर्फर है तो फिर क्यु  न खुद आगे बड़  कर उसे अंजाम तक पहुचाया जाये !                                                                                                                  
                                                                  

                                     अब राजनीति को ही ले लो जो कहती है की भविष्य में इक्सवी सदी लानी है वो खुद यहाँ नहीं है तो इकिस्वी सदी तो बहुत दूर की बात है जिनका आधार ही दुसरो की मेहनत पर टिका हो वो हमे आगे कहाँ तक ले जायेंगे ! हर नेता किसी न किसी ज्योतिष , महात्मा को अपना गुरु बनाये बैठा है जिसे अपने भविष्य की खबर नहीं वो हमारा भविष्य केसे सवार सकता है ! जिसका सारा वक़्त अपने आप को सुरक्षित रखने में ही बीत जाता हो वो हमारी सुरक्षा का इंतजाम केसे जुटा पायेगी ! उनका सारा समय अपने २ सवार्थ के लिए खिंचा तानी में ही बीत जाता है उनके लिए जनता के लिए समय निकल पाना केसे संभव हो सकता है हमे तो इनकी इस मेहनत पर तरस खाना चाहिए की इतनी मेहनत के बाद भी कुच्छ को ही सफलता मिल पाती है और हम हैं की ये सब  जानते हुए भी बार २ अपने भविष्य की डोर इनके हाथो में थाम देते हैं ! जब ये तय है की मनुष्य सिर्फ अपने लिए ही जीता है तो फिर बार २ ये गलती क्यु करे मेहनत खुद करते हैं और उसका इनाम दुसरे  को सोंप देते हैं ! हमे तो गर्व होना चाहिए की हमारी वजह से उनका जीवन इतना सुखमय व्येतित हो हो रहा है !राजनीति तो एसा खेल है की जो इन्सान को कभी मिलकर रहने ही  न दे वो सिर्फ और सिर्फ तोड़ सकती है उसका काम इन्सान को इन्सान से अलग करना है न की जोड़ना ! वो धर्मो को कभी एक जुट रहने ही नहीं दे सकती उनका काम है इंसानों को धर्मो  में बाँटना और उनके बीच  में दूरिय पैदा करना क्युकी अगर वो एसा नहीं करते हैं तो हमारा विश्वास केसे जीत पाएंगे !और अगर हमसब एक हो गए तो  शिकायत कीससे होगी और फिर नेताओ का क्या  काम तब तो हमारा अपना फेसला और अपना जीवन होगा !राजनीति मनष्य को कभी विकसित होते देख ही नहीं सकती क्युकी जितना मनुष्य विकसित होगा , उतना ही उसे गुलाम बनाना मुश्किल हो जायेगा उतना ही उसे सवतंत्र होने से रोकना मुश्किल हो जायेगा ! जरुरत सिर्फ अपनेआप को   समझने की है की में क्या हु और क्या चाहता हु जब में हु तभी तो धरम है ! हर धरम इन्सान को मिलकर रहने की बात कहता है  तो फिर आज देश में इतना शोर क्यु  मचा हुआ है लोग एक दुसरे को मार रहे हैं और दुहाई धरम  की दे रहे हैं  तो ये कोंन  सा धरम है जो एसा करने की इज़ाज़त दे रहा है और हर घर हर रोज मातम माना रहा है और इसे खेलने वाला बेखबर बैठा है ,तो किस काम की वो राजनीति जिसके हाथ में इतने भरोसे से हम अपना जीवन सोंप देते हैं और समय आने पर वो हमारी रक्षा भी नहीं कर पाती ! इनसब बातो से तो इसमें इन सबका अपना ही सवार्थ साफ़ नज़र आता है !जब ये बात सही लगती है तो क्यु  न हम अपना जीवन अपने भरोसे जी कर देखे और  अपने जीवन को अपने आप खुबसूरत बनाये!  
                           
                                                                                   

                                         सवतंत्रता एक क्रांति का नाम है वो हमे भविष्य में आगे ले जा सकती है क्रांति  तभी संभव है हो सकती है जब हम पुराने को छोड़ कर नए को अपनाने की हिमत कर सके पर ये सब  करना हमारे लिए बहुत मुश्किल काम है पर असंभव नहीं ! इसका कारन ये है की हम पुराने से अच्छी तरह से वाकिफ होते हैं हम उसके अच्छे बुरे से भली भांति परिचित होते हैं इसलिए बार २ उसी तरफ बढ जाते हैं बेशक उससे हमे कितनी भी तकलीफ क्यु  न हो रही हो पर हमे उसकी आदत जो पड़ गई है ! नए को अपनाने में हमे घबराहट होती है क्युकी उसके बारे में हम कुच्छ नहीं जानते इसलिए हिम्मत नहीं जुटा पाते और वही घिसी पीटी  जिंदगी जीते चले जाते हैं और उसी में संतोष करते रहते हैं ! जबकि संतोष में सुख नहीं बल्कि सुखी इन्सान में संतोष होता है ! इसलिए हमे अगर जीवन में क्रांति लानी है तो हमे पुराने का त्याग करके नये को धारण करना ही होगा !     
                                                  

हिंदी हमारी मातृभाषा


                                                                                      
                                                                                      आज मैं  बहुत खुश हूँ  की मैं  अपनी प्रिये भाषा का वर्णन उसी की भाषा में करने जा रही हूँ  मै सभी हिंदी भाषी प्रेमियों का  तहे दिल से शुक्रगुजार  हु की आप सब लोगों  की कोशिशो की वजह से हम अपने विचारो को अपनी मात्रभाषा के रूप व्यक्त कर पा रहें  हैं | जिसका हमे गर्व है की वो मूल [ जड़ ] जो कहीं  दब गई थी  आज फिर से उठने की कोशिश करने लगी  है और एक बड़ा वृक्ष बनने की भरपूर कोशिश में हैं   इसको बड़ने में  भले देर हो सकती है पर अगर हम सब  मिलकर इसे सींचते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब ये फल देना शुरू कर देगा और इसके मीठे स्वाद से हर कोई परिचित हो जायेगा |
                  किसी  भी भाषा का ज्ञान  होना अपने आप में बहुत गर्व  की बात  है हम जितनी ज़यादा  भाषा सीखे  उतनी अच्छी तरह से लोगो के विचारों को समझ सकते हैं , भाषा की जानकारी से ही हम एक दुसरे के विचारो को आपस में  बाँट सकते हैं | जहाँ तक हिंदी भाषा का सवाल  है तो एक भारतीय होने के नाते हमें  इस पर गर्व होना चाहिए और हर भारतीय को इसका ज्ञान  होना बहुत जरुरी है | हम हिंदी भाषी होते हुए भी अपने देश में इसका इस्तेमाल न करके दूसरी भाषा को बढावा देते रहे ? ये सब  क्यु हुआ ऐसा सोच कर भी हमे शर्म आती है |सबसे पहले हमें  अपनी भाषा को सम्मान देना चाहिए उसके बाद दूसरी भाषा की जानकारी रखते हुए देश को आगे ले जाना  चाहिए बात तो वही है पर उसके थोड़े से फेर बदल से हम अपने देश और भाषा दोनों का सम्मान कर सकते हैं | हमारे देश में  ज्यादातर  लोग गरीबी रेखा से नीचे के हैं ,जिन्हें दो वक़्त की रोटी न मिल पा रही  हो वो नेताओ दवारा दिए गए किसी ऐसे  भाषण को कैसे  समझ पाएंगे जिस भाषा का उनके जीवन में दूर -२ तक कोई ताल्लुख ही न हो | भाषा संवेदनाओ को व्यक्त  करने का माध्यम  होता है और हमारी भाषा उसे बड़ी आसानी से समझा देती है , जब इतनी प्यारी भाषा हमारे पास है तो हमें  किसी और भाषा को अपनाने की क्या जरुरत है हमें  तो इसका सम्मान करना चाहिए | पहले हमेशा दिल में  ये ख्याल आता था की क्या कभी इसे भी कोई स्थान मिल पायेगा या नहीं पर अब धीरे -२ ये एहसास होने लगा है की हमारी देश की जनता को भी इसकी अहमियत का पता चलने लगा है तभी तो वो अपने घर की चार दीवारों में  मज़े ले -२ कर बोलने के पश्चात् अब सार्वजानिक स्थानों तथा बड़े -२ मंचो में  भी बेहिचक बोलने में  शर्म महसूस नहीं करते  आज हिंदी भाषा की मांग को देख कर लगता है की हमारा देश फिर से अपने संस्कारो की और रुख करने लगा है जिसे वो विदेशियों की भाषा बोलते -२ भूलने लगा था | आजकल  दफ्तर , बैंकिंग , मिडिया , अध्यापन  के क्षेत्र में  इसकी मांग बढती  जा रही है और जो युवावर्ग हिंदी   प्रेमी हैं उनके अन्दर ख़ुशी की लहर दौड़ने  लगी है |
                                                                           आज हिंदी को सिखाने की ललक हमारे देश में   ही जोर नहीं पकड़ रही बल्कि विदेशी लोग भी हमारे देश की बहुरंगी सस्कृति को जानने के लिए हिंदी भाषा सिख रहे हैं | संस्कृति के अलावा जो विदेशी कम्पनियां  भारत में  अपने बाज़ार और कारोबार का विस्तार चाहती हैं वे भी अपने कर्मचारियों  को हिंदी सिखने के लिए प्रेरित कर रही हैं इस तरह कई देश में जैसे  जापान , चीन , रूस , इंग्लैंड , और कोरिया आदि में  हिंदी पढ़ने - पढाने  का काम चल पड़ा है इसकी जानकारी रखने वालों  को इसके जरिये रोज़गार  भी मिल रहा है |
                                                                       जब बात हिंदी की हो ही रही है तो में  भी आपके साथ अपना एक अनुभव बाँटना चाहूंगी , हमारी एक विदेशी दोस्त हैं जिसने अपने देश के संस्कार , भाषा को न छोड़ते हुए हमारी हिंदी भाषा का ज्ञान हमारे साथ रह कर ही सीखा | आज वो अपने देश से दूर रह कर भी हिंदी भाषा के माध्यम से अपने अनुभव  हमसे बाँटती है और अपने परिवार और देशवासिवो के साथ अपनी ही भाषा से सम्पर्क बनाये रखे है वो बड़े गर्व से हमारे देश में  रह कर बिना किसी की मदद से हिंदी भाषा के माध्यम से अपना रोज़गार आसानी से चला रही है | ये सब  देख कर लगता है की जब दुसरे देश के लोग हमारी भाषा के माध्यम से इतनी आसानी से रोज़ी - रोटी कमा  सकते हैं तो हम पीछे  क्यु रहे ? क्यु न हम अपने आप अपने देश में  अपनी भाषा की एहमियत को समझते हुए उसे पूरा सम्मान दे जिससे कोई दूसरा देश हमारी इस कमजोरी का फायदा न उठाते हुए हमसे आगे निकल जाये  और हम अपनी ही भाषा को बोलने मै शरमाते रह जाये |
                                                                                                                                        जय हिंद !
                                                                    

दुनिया की भीड़

सुनते तो हैं की अकेले आये थे अकेले ही जाना है बात तो ये सच है पर इन सब  का एहसास संसार में आते ही ख़तम केसे हो जाता है ये समझ में नहीं आता ! पैदा होते ही माँ की गोद और फिर ये सिलसिला जेसे थमने का नाम ही नहीं लेती और ये हमारी जेसे आदत ही बनने लगती है और फिर भीड़ से जुड़ने का सिलसला शुरू हो जाता है जो सारी जिंदगी चलता ही रहता है !इतने लम्बे सफ़र में न जाने कितनो से मुलाकात होती है जिनमे कुच्छ बहुत अच्छे होते हैं जिनके विचारो से हम प्रभावित होते हैं और कुच्छ  येसे  जिनके विचार हमारे विचारो से मेल नहीं खाते फिर भी हम उनके साथ जुड़े रहते हैं कारन वही, क्युकी हमे तो भीड़ से जुड़ने की आदत जो पड़ गई है और यही कारन भी है की जब हम इनसे दूर होने की सोचने लगते हैं तो हमे अकेलेपन का एहसास सताने लगता है !और फिर से वही सिलसिला शुरू हो जाता है भीड़ में शमिल होने का और वही दुःख सुख का रेला जो खटी मीठी यादो के साथ हमे कभी हंसती है तो कभी रुलाती भी है !
                                                                                                                                                   सुख  दुःख जीवन के दो पहिये के सम्मान हैं दोनों जीवन में रंग भरने का काम करते हैं अगर एक की भी कमी हो जाये तो हमारी तस्वीर अधूरी रह जाती है !इसलिए संसार में हर एक चीज़ अपना एक महत्वपूर्ण स्थान  रखती है जब तक दुःख न आएगा हम सुख का अनुभव कर ही नहीं पाएंगे जब तक रोना न होगा तब तक हंसी का मज़ा चख ही नहीं सकते इसलिए हसना_ रोना , सुख_ दुःख इसी भीड़ से तो हमे मिलता है तो हम इससे दूर केसे रह सकते हैं !किसी एक का एहसास ही दुसरे के एहसास को बढाता है फिर गिला किस बात का दोस्तों दोनों ही तो अपने हैं शायद  इसी का नाम जिंदगी है ! तो क्यु न इसे हंस के जिए और जिंदगी के हर रंग में रंग जाये जिससे किसी से गिला ही न हो और न ही कोई उमीद जो हर पल सपने दिखाती  है और पूरा न होने पर दुःख दे जाती है तो निस्वार्थ भाव से जीते चले जाते हैं जिससे दुसरे को ख़ुशी दे सके और अकेले रहने की आदत भी पड़ जाये एक पंथ दो काज ! 

जीवन एक कला

          जीवन का जीवन से परिचय ही हमे जीने की कला सिखाता है ! जिस तरह सारा समाज सारी शिक्षा  हमे तब तक सही राह  नहीं दिखा  सकती जब तक हमे जीवन को जीने का सही ज्ञान प्राप्त न हो जाये ! जीवन को सही से जीने के लिए मनुष्य के अन्दर सकारात्मक सोच का होना बहुत जरुरी है क्युकी  इन्सान के अन्दर  हर वो गुण मोजुद  हैं जेसे अच्छी सोच ,प्यार , क्षमा , क्रोध बस उसे तो इन सब  का इस्तेमाल सही जगह पर करने की देर है ! अगर हम किसी से प्यार करते हैं तो वो भी सच्चे   दिल से करे ओर राह में कोई भी बाधा आये तो उससे भी न डरे और अगर किसी से  नफ़रत करते हैं तो वो भी खुल कर करे उसमे  भी कोई मिलावट नहीं होनी चाहिए हमे अपने सभी एहसासों को खुल कर जीना चाहिए और एक आज़ाद जीवन जीने की कला सीखनी चाहिए !                                                                                                                                                आज का मानव न तो खुल कर अपनी भावनाओं  को व्यक्त  कर पता है बल्कि उस पर मुखोटा चढ़ा  कर कुच्छ और ही प्रदर्शित करता है ! दिल कुच्छ और चाह रहा होता है और बहार से न चाहते हुए भी हम उसे अपना लेते हैं ! जिस वजह से हम अन्दर से भी परेशान   होते हैं और बहार से भी ! जेसे उदाहरण के लिए  हम कही जा रहे हो और हमारे सामने से हमारा कोई एसा परिचित हमे मिल जाये जिसे हमारा दिल उसे पसंद ही नहीं करता पर समाज मै इज्ज़त बनाये रखने कि खातिर हमे उसे नमस्कार करना ही पड़ता है और उसके जाते ही हम उसे अपशब्द कहते हैं तो हमे  न चाहते हुए भी परेशानी झेलनी पड़ती है ! क्युकी  जो हमारा दिल कहता है वो हम दुनिया की वजह से कर नहीं पाते और वो सब करते चले जाते है जिसे दिल ने कभी चाहा  ही नहीं और झूठी जिंदगी जीते चले जाते हैं और अपनी आत्मा को सताते रहते हैं इस वजह से न आत्मा के साथ इंसाफ कर पाते हैं  और न ही खुद चैन से रह पाते हैं !  इसलिए हमे दोहरी जिंदगी न जी कर इकहरी जिंदगी जीनी  चाहिए !                                                                                                                                                                                       जीवन जिओ तो  एसे जियो जो आपका अपना  दिल कहता है जो आपकी अपनी  आत्मा स्वीकारती  हो , दूसरों  को दिखाने  के लिए जिए तो क्या जिए उसमे न हम अपने लिए कोई न्याय कर पाते हैं और न उनके लिए जिनकी वजह से हम एसा करते हैं क्युकी जीवन जीने का सही तरीका है उसे दोहरे मापदंड से नहीं एक ही तरह से जीना  ! जिससे हमारा जीवन हमे बंधन न लगे और हम इस जीवन का भरपूर आनंद  उठा सकें  और इसके हर पहलु को ख़ुशी ख़ुशी जी सकें  !  
                            

सपनो का संसार



आज का युवा वर्ग काफी रचनात्मक और उत्साह से भरा हुआ है कभी २ वो विध्वंसकारी और अवसादग्रस्त भी हो जाता है ! वो देश में अपनेआप को स्थापित करने के लिए अपने लिए जगह तलाश कर रहा है पर मिडिया हर मोड़ पर उसे दिशाहीन बना दे रही है ! घर और बहार की दुनिया में जब वो काफी अंतर देखता है तो कोई भी निर्णय लेने में असमर्थ हो जाता है ! देश के नेताओ का भ्रष्टाचार में लिपत होना मिडिया के इतने प्रचार के बावजूद भी उनपर किसी प्रकार की कारवाही न होना , आतंकवाद का खत्म  न हो पाना ! कश्मीर में शहीद  होने वाले शहीदों की कवर स्टोरी न बनाने की जगह फ़िल्मी हस्तियों की कवर स्टोरी बनाना ये सब उसे अपने आपसे यह पूछने पर मजबूर कर देते हैं की आखिर वो किसे अपना हीरो माने ! अपने दिल में वो बहुत से सपने लेकर चलता है की उसे लेकर वो उन ऊँचाइयों को छु सके जिनके वो सपने देखता है !
                                                                  कितना सरल सा शब्द है ये सपना  ? लेकिन सही मायनो में ये अपने आप में बहुत बड़ा स्थान रखता है इसका सम्बन्ध मानव से एसे जुड़ा है जिसके बिना वो अधुरा सा हो जाता है ! सपनों  के बिना तो उसका सफ़र आगे बढ ही नहीं सकता हर इन्सान सपने देखता है उनमे से कुच्छ तो हम पुरे कर देते हैं और कुच्छ सपने ही रह जाते हैं ! हर सपना उसे इन्सान के लक्ष्य की और आगे बड़ने में सहायता करता है उसे होंसला देता है और हम उन ऊँचाइयों  को छु लेते हैं जहां तक पहुँचने का हम सोचते भी नहीं हैं सपने दो तरह के होते है एक जो हम बंद आँखों से देखते हैं और एक वो जो हम खुली आँखों से देखते हैं खुली आँखों से देखे हुए सपनो का हमारे जीवन से गहरा ताल्लुख  होता है !
                                                                आज का युवावर्ग तरल सतह पर टिके सपने देखती है क्षितिज के पार अनजाने भविष्य के सपने ! आज के युवावर्ग में इतना जोश है की वह सिर्फ सपना देखती ही नहीं उसे पूरा करने के लिए वो कुच्छ भी कर  गुजरने को तैयार होती है उसके अन्दर इतना जोश है की उसे आगे बड़ने के बाद रोकना नामुमकिन है जरूरत है तो सिर्फ उसे सही राह में बड़ने की दिशा दिखाने की जिससे वो अपने सपनो को सही दिशा दिखा सके ! सपने रंगों की तरह होते हैं" संसार सपनो का केनवास" हैं , बस मन में विश्वास ले कर उसे अपने रंगों से भरते जाना है ! अगर हम कल्पना नहीं करेंगे तो उसे हासिल केसे कर पाएंगे , सपने देखना खुशहाल जीवन को आगे बढ़ाने  की सीडी जेसा है ! अक्सर लोग सपने देखने वालों  पर पहले हँसते हैं पर जब उसे पूरा होने पर ये शब्द कहना की ये मेरा " बचपन का सपना " था तो सपनो की महता पर यकीं करवा  ही देतें  है !
              जीवन में सबसे पहले कुछ पाने की चाह मन में उठती है उसे पूरा करने के लिए लगन परिश्रम और द्रिड निश्चय का होना बहुत जरुरी है ! यही सब हमें सपनों  को साकार करने में मदद  करती है ! ज्यादातर  सफल लोग इसी राह में चल कर आगे बड़ते हैं . उनके अलग ढंग  से सोचने और कुछ कर गुजरने की चाह ही उसे उन बुलंदियों  तक ले जाती है ! एक स्थान में बैठ कर खाली सपने देखने से कुछ  हासिल नहीं होता उसे पाने के लिए मेहनत करना बहुत जरुरी  है  एसा सपना तो पानी के बुलबुले के समान होता है जो कुछ ही देर में खत्म  हो जाता है ! सपना देखो तो नदी के बहाव की तरह उस अंजाम तक पहुँचों  क्युकी  जब पानी जिस  जगह से शुरू होती है तो बहुत छोटे से स्थान से निकलती है और चलते २ उसका विस्तार बढता चला जाता है ! सपने भी हमारे जीवन की एसी  ही मजबूत कड़ी है जो सब कुछ  बदलने की ताक़त रखती है अगर जरुरत है तो सिर्फ सही दिशा और हिमत करने की !
                       "  आँखों में सपने मन में बंधन और आसमान में उड़ने की चाह ".................. यही है युवावस्था ! युवा सपने गरम लहू के समान होते हैं , वे देश की धमनियों और शिराओं  में दोड़ते हुए उसे भीतर ही भीतर बदल डालने की क्षमता रखते हैं ! दुनिया की हर क्रांति  से पहले बेहतर  भविष्य की कल्पना ही लोगों  के शरीर  में गतिमान होते रहे होंगे ! क्रांतिकारियों और रचनात्मक सपनो में फर्क  सिर्फ इतना है की क्रांतियाँ  गर्जना करती है और रचनात्मक सपने देश में बहुत धीरे से बदलाव लाती है ! युवा मन के सपने बसंत की तरह होते हैं जो दबे पांव  आता है और देश के भविष्य को बदल डालता है और सारा देश नई तकनीक नई समृधि और विकास के रंगों में रंग जाता है ! युवा स्वपन  देश को अहिंसक ढंग  से बदले का मादा रखता है जरुरत है सुकरात जेसे एक एसे अच्छे मरगदर्शक की जो उन्हें सही राह दीखा सके जो उनके विचारों  को सही दिशा  दे सके क्युकी  मानव मन तो बंजर भूमि की तरह है उसमे जेसा बीज हम बोयेंगे वेसा ही प्राप्त करेंगे ! आज देश में एसे ही लोगों  की जरुरत है जो नई प्रतिभावों  को  सही राह में लेजाने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर सके !
                                         आजका नोजवान एक सक्षम देश बनाने का सपना देखता है दरअसल हमारी युवा पीढ़ी  महज सपने देखती नहीं बल्कि रोज यथार्थ से लडती है उसके सामने भ्रष्टाचार , आरक्षण का बिगड़ता स्वरूप  और महंगी होती शिक्षा जेसी ढेरों समस्याएँ   हैं इस चुनोती से भरी दुनियां  में उसे अपने को स्थापित करने के लिए संकल्प के साथ आगे बढना है और अपने भविष्य को संवारना   हैं क्युकी हर आने वाला  वक़्त अपने साथ चुनोतियाँ  ले कर चला है कभी युद्ध तो कभी प्राक्रतिक आपदाएं  लेकिन कैसा  भी समय क्यु न आ जाये हमारे भीतर के सपनों  को हमसे कोई नहीं छिन सकता _________ में  धरती मै पैदा होने वाले हर इन्सान को प्रणाम  करती हु क्युकी हर इन्सान मै बरगद के पेड़ बनने की क्षमता नज़र आती है ! जो अपनी मेहनत   के द्वारा  अपने सपनों को कभी भी साकार कर सकता है !                              



कुदरत

      Water Effect Graphics and Scraps      जिस अंदाज से सूरज की तपन ने धरती को जलाया जी भर के !
बारिश की बूंदों ने भी उसमे मरहम लगाया जी भर भर के !
दोनों के इस खेल मै सारी दुनिया को जो सताया जी भर के !
 दोनों की लुका झिपी का मज़ा भी तो सबने लिया जी भर के!
अगर सूरज की तपन अपना रंग यु न दिखा पाती इस कदर !
तो बारिश की बुँदे भी अपना कमाल केसे दिखा पाती इस कदर !
इसलिए  तो हर जूनून का एक अलग ही मज़ा है संसार मै !
अगर एक भी हमसे झूट जाये तो ज़िन्दगी एक  सजा है !     
इसलिए कुदरत के इस खेल का तुम जम के मज़ा लो !
सूरज का करो स्वागत हरदम और बारिश का मज़ा लो !