बहस से बड़ी कोई बहस नहीं है ,
धर्म से बड़ी कुछ की जागीर नहीं है |
ये दुनिया वालो की बनाई हुई हस्ती है ,
इस पर कोई बहस मुमकिन ही नहीं है ,
क्युकी , धर्म से बड़ी कोई ज़ंजीर नहीं है |
इंसानियत को पूजो इन्सान से प्यार करो |
क्युकी इससे महान कार्य दुनियां में ...
मेरे ख्याल से कोई और नहीं है |
सब कुछ खत्म हो जायेगा दुनिया में
पर दुसरे के लिए किया गया उपकार
उसके दिल में आपका सम्मान कभी नहीं |
उसका नशा अपने अन्दर लाके तो देखो
खुद के अन्दर इसकी आदत बनाके तो देखो ?
हो न जांए तुम्हें भी उनसे मोहोब्बत तो कहना
जरा इस नशे को आजमा के तो देखो |
किस कदर मासूम निगाहों से
हरदम वो तकतें हैं |
हमारी तरफ हाथ बढ़ाके...
हमसे ही तो वो कुछ कहतें हैं |
क्या हममें उनकी आवाज़
सुन पाने का भी दम नहीं |
बढ़के हम उन्हें न थामें
इतने तो गये गुजरे हम नहीं |
उनके चेहरे पे कुछ पल की
मुस्कान ही गर हम ला दें |
उनको उस दुनिया से ...
कुछ पल को बाहर निकाल दे ,
ये अहसान भी कोई कम नहीं |
क्युकी उनकी ख्वाइशो का पुलिंदा
हम सा हो ये भी तो मुमकिन नहीं |
हिम्मत तो उनमें है इतनी
की हमने कभी परखी ही नहीं
बस थोड़ी सी उनके अन्दर
विश्वास की ही तो है कमी |
हमें तो बस प्यार के
दो मीठे बोल ही है कहना |
और उनकी जिंदगी को
बस एसे ही है रंगीन करना |
क्या इस खुबसूरत धर्म से प्यारा
कोई और धर्म भी हो है सकता ...
हम तो कहते हैं इससे प्यारा तो ...
कोई और धर्म हो ही नहीं सकता |