हाँ हम जानते हैं सारी सृष्टि में ही तो बसी वफाएं है |
पर जो लिखा खुदा ने वही किस्मत हम साथ लाए हैं |
खुद अपनी चाहत से पैदा की है हमने अपनी वफाएं हैं |
किसी के कुछ करने से नहीं बदलती तकदीरें जफ़ाएं हैं |
बदलते हुए हर मौसम को हमें खुद ही झेलना होगा |
खुशी - गम के साये में हमें खुद जीना - मरना होगा |
कौन किसी की खातिर कब जीया कब मरा होगा ?
ये तो बस एक एहसास ही है जो उसने कह दिया होगा |
कोई भी धर्म कब किसी से कोई गुनाह को कहती है |
ये तो इंसा की सोच है जो ये सब करने को कहती है |
मैं जब तुझसे हूँ तो क्यु करूँ मैं तुझसे कोई बेवफाई |
फिर आप हमसे ये कहें कि दोस्त तू तो बड़ा है सौदाई |
इंसा होके अगर इंसा के दर्द को हम ही न जान पाएंगे |
होगा खफा खुदा जब इस जहाँ से ऐसे रुखसत हो जायेंगे |
उसके गुलिस्तान के ही हम सब फूल - पत्ते हैं |
उसके ही कर्म से सूरज - चाँद बेबाक चमकते हैं |
वो बदलता है नसीबों को और हम खुद पर रश्क करते हैं |
बड़े जालिम हैं हम जो उसकी रजा से बेखबर से रहते हैं |