नई सुबह है आने को |
तम हटेगा , धुंद हटेगी ,
नया प्रकाश है छाने को |
देखो किरणों कि ये छटा ,
पेड़ों पर है ठहर जाने को |
सर्दी कि ठिठुरती बेला को ,
फिर से है गरमाने को |
गांव कि गोरी छम - छम करती ,
चली पनघट में लेने पानी को |
सूरज कि किरणों से बचती ,
आँचल से लगी मुंह छुपाने को |
सागर कि लहरें भी लगी अब ,
अपना करतब दिखाने को |
लगी किनारों से टकराने ,
अपना आस्तिव बतलाने को |
चिड़िया अम्बर में उड़ निकली ,
आज़ादी का आभास दिलाने को |
मछुवारों कि टोली चल निकली ,
अपना कर्तव्य निभाने को |