चेहरे से जरा दर्द को , हटा कर तो देख |
मेरे कहने से जरा , मुस्कुरा के तो देख |
महफूज़ नहीं है यहाँ , कोई भी काफिला |
तू बदले तेवर , इन हवाओं के तो देख |
मैं कब से आस की जोत , जला कर हूँ बैठी |
तू मेरी वफ़ाओं को दिल में , बसाके तो देख |
छोडो उन्हें जो बस्तियों में , बैठे हैं शौक से |
तू खुद के लिए ,एक घर बनाके तो जरा देख |
क्यु रोता है शहर में होते , सितम को देखकर |
जो हो रहा है खुदके जहन में लाके तो जरा देख |
पल - पल तेरी याद में ही , बीतता है हर पल |
तू कुछ पल को मेरे दिल में भी , झाँक के तो देख |
तुझे कसम है इस मासूम से , दिलो - जान की |
मेरे साथ भी एक बार , वफा निभा के तो देख |