प्रकृति प्रेरणा


निखरा कैसा आज गगन , 
झिलमिल करते  यह सूरज किरण |
गति डोल रहे हैं यह खग गन 
ध्वनी  से निकलता ------ जन गन मन ||
यह भरे हुए फूलों का बन 
ऊँचे - ऊँचे हैं ये कानन |
है राष्ट्र प्रेम इनके भी मन 
कह रहे भूमि पर दे दो तन ||
हैं उच्च शिखर में जो हिम गण
दे रहे प्रेरणा यह प्रतिक्षण |
क्या हुआ अगर मिटते  हैं ...हम ,
सुविधा पा लेते अपने जन ||
यह वक्र घाटी में बहता जल ,
कहता है हमसे उछल - उछल |
यूँ पड़े हुए क्यु गति ...टल |
यह तो है वीरों का जन्मस्थल ||

अधूरी चाहत

बहुत बार चाहा उनकी महफ़िल में जाएँ |
कुछ उनकी सुनें और कुछ अपनी सुनाएँ |
 उनकी तरफ से कोई संदेशा  न आया |
हम हुए रुसवा उनको  हँसता ही पाया |
महफिलें सजी सबने जश्न भी मनाया |
कुछ पल के लिए एक दुसरे को बहलाया |
महफ़िल ही तो थी कितनी देर और सजती |
कुछ पल में चारों तरफ मातम सा छाया |
कौन देगा साथ अब जब उनकों ये ख्याल आया |
तब डाली निगाहें  हमपर , हमें पास बुलाया |
साथ  देते रहने का झूठा बहाना   बनाया |
कसमे - वादे देके हमें फिर खूब  रिझाया |
अब तक हम तन्हाइयों से दोस्ती कर चुके थे |
अब उनका साथ हमें बिलकुल न भाया |
दे  चुके थे वादा , उनके  साथ चलने का  |
इसलिए आज फिर से वो वादा निभाया |

कमसीन बाला

तुम इंदु हो या हो बाला 
तुम यौवन हो या मधुप्याला 
कुछ तो मुझे बतला  दो ना |
तुम दीपक हो या ज्योति उसकी 
उषा हो या लाली उसकी 
यह निजसार जरा समझा  दो ना |
तुम इंदु हो या ......................

नीरज की मधुर मुस्कान हो तुम  
कोयल की मीठी तान हो तुम 
तुम शुभ पुष्प की प्यारी सी लता 
या नूतन की हो नूतनता 
उलझन ये सब निपटा दो न 
तुम इंदु हो या .......................

तुम हो सावन की मस्त घटा 
बारिश की अनुपम  तुम हो छटा
तुम रूप प्रत्यक्ष दिखा दो ना ...
तुम प्यारी हो , या प्राण पिया की 
जीवन हो या हो त्राण पिया की 
यह विश्वाश दिला दो न 
तुम इंदु हो या ......................

तुम चित हो या चितचोर 
अधर कहूँ या मुरली उसकी |
भेद मुझे समझा दो ना ...
तुम प्रेम भरी एक गाथा हो 
या हृदय की मीठी भाषा हो |
तुम आशा हो या निराशा हो |
यह सब मुझको समझाओ ना |
तुम  इंदु हो या हो .................