आओ अपने ही अन्दर कुछ ऐसा ढूंढे |
दिल की गहराई में छिपी गहराई ढूंढे |
कहीं न कहीं तो छुपा हुआ है वो राज़ |
सितारे और सूरज जहां पर हैं बेहिसाब |
आपस में जो करते रहते हैं ये बातें |
उन्ही तन्हाइयों में कोई गहराई ढूंढे |
अपने भीतर वो सीपी जिसमे हैं मोती |
वो खानें जहां बन रहें हैं बेशुमार मोती |
चलो आज उन्ही से उनका पता हम पूछें |
वो सूरज जिसकी खातिर जी रहें है लोग |
वो पूनम जिसका नशा पी रहें हैं सब लोग |
आज उन्ही से उस राज़ का हम पता पूछे |
आओ अपने ही भीतर रह कर ये बात पूछे |
आओ अपने ही भीतर रह कर ये राज़ पूछे |
4 टिप्पणियां:
मन में एक संसार बसा है।
vakai , dil ki gahrai se likhi gayi rachna
man har savaal kaa javaab detaa hai| sundar abhivyakti| badhaaI|
bahut achche .... aap yun hi likhti rahe mera sadhubad aapko... itna sunder likhne ke liye dhanyabad.
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