गहराइयाँ


आओ अपने ही अन्दर कुछ ऐसा  ढूंढे |
दिल की गहराई में छिपी गहराई ढूंढे |

कहीं  न कहीं तो छुपा हुआ है वो  राज़ |  
सितारे और सूरज जहां पर हैं बेहिसाब |

आपस में जो करते रहते हैं ये बातें |
उन्ही तन्हाइयों में कोई गहराई ढूंढे |

अपने भीतर वो सीपी जिसमे हैं मोती |
वो खानें जहां बन रहें हैं बेशुमार मोती  |

चलो आज उन्ही से उनका पता हम पूछें |
वो सूरज जिसकी खातिर जी रहें है लोग |

वो पूनम जिसका नशा पी रहें हैं सब लोग |
आज उन्ही से उस राज़ का हम पता  पूछे |

आओ अपने ही भीतर रह कर ये बात पूछे  |
आओ अपने ही भीतर रह कर ये राज़ पूछे  |

4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मन में एक संसार बसा है।

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

vakai , dil ki gahrai se likhi gayi rachna

निर्मला कपिला ने कहा…

man har savaal kaa javaab detaa hai| sundar abhivyakti| badhaaI|

Sushil Kumar Patial ने कहा…

bahut achche .... aap yun hi likhti rahe mera sadhubad aapko... itna sunder likhne ke liye dhanyabad.