रिश्ते


खुली आँखों से जब देखा
जिंदगी भुरभुरा रेत का
एक टीला सा लगी
जो कभी बहुत गर्म
तो कभी ठंडी हो जाती
कभी लहरें बहा ले जाती
तो कभी तेज आंधियां
अपने संग उड़ा ले जाती
उस  रेगिस्तान कि तरह
जहां सिर्फ धसना
और सिर्फ धसना है
हरपल  हाथ से फिसलता हुआ
रिश्तों कि मजबूत डोर
जिसे थामे रहती
लहरों के थपेडों से बचाती
तेज आँधियों से संभालती
टूटे घरोंदों को फिरसे जोड़ती
मजबूत बाहुबल में जकड़े हुए
अपने जीने  को साकार करती
पर असल जिंदगी तो ...
इंसा के जहन  में है पलती
हर वक्त गोते लगाते हुए
उथल - पुथल करती हुई
भावनाओं को अपने में सजाती हुई
हर वक्त मकडजाल बुनकर
अपने जीवन को दिशा देती
सबसे दूर सिर्फ अपने आप में  ...
जिसकी किसी को कोई खबर नहीं
पर रिश्तों कि डोर उसे टूटने न देती |

16 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रिश्तों का काम होता है कठिनाईयों में सम्हाल लेना..
बेहतरीन..

vidya ने कहा…

पता नहीं रिश्तों से जिंदगी सम्हली रहती है..या जिंदगी सम्हालती है रिश्ते..
सुन्दर रचना.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

रिश्ते और जिंदगी शायद एक दूसरे को संभालते रहते हैं .. अच्छी प्रस्तुति

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया


सादर

Patali-The-Village ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति|

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

***Punam*** ने कहा…

ज़िंदगी है तो रिश्ते हैं...
और रिश्तों से ही जिन्दगी है...

Rajesh Kumari ने कहा…

jindagi ke bhaavon ko bakhoobi likha hai ant me to haath khali hi rahte hain yahi jindagi ka falsafa hai.

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

रिश्तों को बहुत संभाल के रखना पड़ता हैं अपने इस जीवन में ....बेहद सुन्दर शब्द रचना ...आभार

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

riste hi to hame jodte hain.

kavita verma ने कहा…

jindagi aur rishte ek doosare ke poorak hai...sundar rachna..

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

रिश्ते निभाती , रिश्ते जोडती , रिश्तो का महत्व
बताती सुंदर बेहतरीन रचना है

कौशल किशोर ने कहा…

very nice.....aapko badhayi..

sangita ने कहा…

रिश्तों की सुन्दर व्याख्या की है आपने आभार, मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है|

संजय भास्‍कर ने कहा…

रिश्तों से ही जिन्दगी है

विभूति" ने कहा…

रिश्तो की सार्थक और अभिवयक्ति....