वादा निभाने की खातिर मत आना |
वादा निभाने वाले अहम को साथ रखते हैं |
दंभ और अहंकार रूप हैं इसके ...
ये अक्सर दिल तोड़ जाते हैं ,
और उदासी में अकेला छोड़ जाते हैं |
मेरी चाहत की गहराई इतनी कम नहीं
ये दिए की लौ से भी ऊँची है |
जब दिल अकेले में मुस्कुरा दे ...
जब आँखों से बुँदे खुद गिर आये ...
तो आ जाना .......
मैं दरवाज़े में दस्तक का इंतज़ार करुँगी |
13 टिप्पणियां:
जब भाव जगे, आना..
वाह!
सर राखे सर जात है
सर काटे सर होत.
बहुत ही सुन्दर भाव प्रस्तुत किये हैं आपने मीनाक्षी जी.आभार.
??<<>>??
कोमल भाव लिए..
सुन्दर भावपूर्ण रचना....
:-)
बहुत सुन्दर .....
कोमल से एहसास.....
बड़े दिनों बाद blog में कुछ लिखा ???
:-)
अनु
वाह-वाह
बहुत ही सुन्दर नहीं खुबसूरत
अजीब दास्तान है ये दरवाजे तक इंतजार में यशोधरा की तरह उम्र भर .....
भावों से नाजुक शब्द.....
बहुत सुन्दर सच्चाई से रूबरू कराती अभिव्यक्ति .......
बहुत सुन्दर सच्चाई से रूबरू कराती अभिव्यक्ति .......
aap ke saari rachna bhut achhi hoti hay
बहुत सुन्दर रचना!
http://voice-brijesh.blogspot.com
नहीं चाहिए दया तुम्हारी ...आना तो प्रेम में पगे आना .....स्वागत मिलेगा ...बहुत सुंदर ...एहसास
आपके स्वागत में मेरी रचना ....
यात्रा ...भोर तक
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