बादल
उमड़ - घुमड़ कर जब
वो अपनी ही शान मै
चलने लगता है !
ज़मी वालो का दिल तो
जोरो से धडकने लगता है !
वो तो बस जीता है
ओरों की चाह के लिए !
कितना बड़ा दिल है उसका
की अपनी और अपने
परिवार के आस्तित्व का
जरा भी ख्याल किये बिना ..............
बस चल देता है वो तो
अपनी ही धुन मै हो मगन
किसी को कुच्छ देने की चाह मै !
न कोई दिल मै हसरत
न ही कोई मलाल लिए हुए ,
अपने को मिटा के
दुसरे को सुकूं देने के लिए !
फिर उसका प्रदर्शन ..............
ओरों से बेहतेर क्यु न हो ?
और उसके लिए हमारे दिल मै
प्यारी सी जगह फिर क्यु न हो !
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1 टिप्पणी:
भई वाह !! तो आप बादल के बचाव में पूरी तैयारी से उतर आयी हैं.
मुझे surrender करना पडेगा.
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