चेहरे से जरा दर्द को , हटा कर तो देख |
मेरे कहने से जरा , मुस्कुरा के तो देख |
महफूज़ नहीं है यहाँ , कोई भी काफिला |
तू बदले तेवर , इन हवाओं के तो देख |
मैं कब से आस की जोत , जला कर हूँ बैठी |
तू मेरी वफ़ाओं को दिल में , बसाके तो देख |
छोडो उन्हें जो बस्तियों में , बैठे हैं शौक से |
तू खुद के लिए ,एक घर बनाके तो जरा देख |
क्यु रोता है शहर में होते , सितम को देखकर |
जो हो रहा है खुदके जहन में लाके तो जरा देख |
पल - पल तेरी याद में ही , बीतता है हर पल |
तू कुछ पल को मेरे दिल में भी , झाँक के तो देख |
तुझे कसम है इस मासूम से , दिलो - जान की |
मेरे साथ भी एक बार , वफा निभा के तो देख |
11 टिप्पणियां:
bahut hi sunder ghazal.
Aanand aa gaya
पल - पल में तेरी याद में बीतता है हर पल |
तू कुछपल को मेरे दिल में झाँक के तो देख |
आपके 'बस कुछ पल' तो कमाल के हैं मीनाक्षी जी.
बहुत प्रभावशाली हैं दिल को झकझोर रहें हैं.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
'नाम जप' पर अपने अमूल्य विचार व अनुभव
प्रस्तुत करके अनुग्रहित कीजियेगा.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार
बेहद खुबसूरत..वाकई !
संशय में क्यों जीते रहना।
बेहद खूबसूरत !!
चेहरे से जरा इस दर्द को हटा कर तो देख |
मेरे कहने से एक बार मुस्कुरा के तो देख |khubsurat rachna....
"चेहरे से जरा इस दर्द को हटा कर तो देख |
मेरे कहने से एक बार मुस्कुरा के तो देख |"
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे साथ भी एकबार वफा निभा के तो देख |
kya baat kahee hai...wafa nibhaane waale kamm milte hain duniya mein!!!!
क्यु रोता है शहर के सितमगर को देख कर |
जो हो रहा है उसे खुदके जहन में लाके तो देख |bhaut khubsurat...happy diwali...
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार. खूबसूरत
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