मैं आपको अच्छी किताब समझती हूँ |
आपके दिए सम्मान को मैं प्यार समझती हूँ |
क्या है ये रिश्ता जो दूर हैं आप हमसे ,
फिर भी सबको मैं अपने पास समझती हूँ |
आपकी वाह - वाह मुझको सम्मान है देता |
ना - ना बेहतर लिखने का संकेत समझती हूँ |
यही अहसास हमें एक सूत्र में है बांधे ,
इसको आपसे जुड़ने का सोभाग्य समझती हूँ |
क्या किससे है पाना , किसमे क्या है खोना |
इन सबके अहसास से मैं दूर ही रहती हूँ |
जीवन में जीने के लिए कुछ तो है करना |
इसलिए मैं हररोज एक कविता लिख देती हूँ |
6 टिप्पणियां:
एक बार फिर अच्छी रचना, सुंदर भाव
क्या है ये रिश्ता जो दूर हैं आप हमसे ,
फिर भी सबको मैं अपने पास समझती हूँ |
बिल्कुल सही कहा है ..|बहुत ही खुबसूरत और सार्थक रचना ...
बेहतरीन, शब्द ही भावों को सर्वाधिक समझते हैं।
क्या किससे है पाना , किसमे क्या है खोना |
इन सबके अहसास से मैं दूर ही रहती हूँ |
ati sundar....!!
बहुत ही सुंदर कविता |
जीवन में जीने के लिए कुछ तो है करना |
इसलिए मैं हररोज एक कविता लिख देती हूँ |
वाह, बहुत ही गहरे एहसास.
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