दोस्ती


मैं आपको अच्छी किताब समझती हूँ |
आपके दिए सम्मान को मैं प्यार समझती हूँ |
क्या है ये रिश्ता जो दूर हैं आप हमसे  ,
फिर भी सबको मैं अपने पास समझती हूँ |
आपकी वाह - वाह  मुझको  सम्मान है देता  |
ना - ना बेहतर लिखने का संकेत समझती हूँ |
यही अहसास हमें एक सूत्र में है बांधे  ,
इसको आपसे जुड़ने का सोभाग्य  समझती हूँ |
क्या किससे है पाना , किसमे क्या है खोना |
इन सबके अहसास से मैं दूर ही रहती हूँ |
जीवन में जीने के लिए  कुछ तो है करना |
इसलिए मैं हररोज एक कविता लिख देती  हूँ |

6 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

एक बार फिर अच्छी रचना, सुंदर भाव

क्या है ये रिश्ता जो दूर हैं आप हमसे ,
फिर भी सबको मैं अपने पास समझती हूँ |

मदन शर्मा ने कहा…

बिल्कुल सही कहा है ..|बहुत ही खुबसूरत और सार्थक रचना ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बेहतरीन, शब्द ही भावों को सर्वाधिक समझते हैं।

***Punam*** ने कहा…

क्या किससे है पाना , किसमे क्या है खोना |
इन सबके अहसास से मैं दूर ही रहती हूँ |

ati sundar....!!

Amrita Tanmay ने कहा…

बहुत ही सुंदर कविता |

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) ने कहा…

जीवन में जीने के लिए कुछ तो है करना |
इसलिए मैं हररोज एक कविता लिख देती हूँ |

वाह, बहुत ही गहरे एहसास.