बड़ा दिलकश सा अंदाज़ , है ये तेरा
बातों - बातों में हमको , रिझाना तेरा |
कभी पलकें झुकना , कभी पलकें उठाना
ये आँखों- आँखों में ही मुस्कुराना तेरा |
जुबाँ से कुछ न कहना , बस खामोश रहना
ये वजह - बेवजह यूँ हमको सताना तेरा |
कभी दूर हमसे जाना कभी पास मेरे आना
ये बात - बात पर यूँ इतराना तेरा |
चल छोड़ ये नजाकत कहीं कर न दे बगावत
ये रह - रहकर हमपे सितम ढाना तेरा |
13 टिप्पणियां:
दिल के सितम के साथ कहें गए खूबसूरत अहसास
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर और प्यारी अभिव्यक्ति..
मनभावन...
:-)
वाह...
सुन्दर..रूमानी गज़ल...
सादर
अनु
वाह!
आपके इस उत्कृष्ट प्रवृष्टि का लिंक कल दिनांक 10-09-2012 के सोमवारीय चर्चामंच-998 पर भी है। सादर सूचनार्थ
अच्छी रचना है.
मैं सभी सम्मानित मित्रों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया |
यही तो है इजहारे प्यार
बहुत सुन्दर प्यारी रचना
बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने... :-)
कभी दूर हमसे जाना कभी पास मेरे आना
ये बात - बात पर यूँ इतराना तेरा |
khubsurat aihasaas
हम्म्म्म...वाकई ....!!!!
कर न दे बगावत :)
सभी दोस्तों का तहे दिल से शुक्रिया |
एक टिप्पणी भेजें