फिर जवां होगी , नई बयार
पेड़ - पौधों से होकर अंगीकार
नई कोंपले सर उठायेंगी
नया किरदार फिर निभाएंगी
पतझड़ दिल दुखायेगा
पेड़ों से पत्ते उड़ा ले जायेगा
हवा भी करतब दिखायेगा
टूटे - तिनकों को बिखरा जाएगा
ये नित नया रंग बदलता मौसम
धुल - मिटटी में सनकर
धरा के सीने को चीरकर सर उठाएगा
बारिश की बूंदों से प्यास बुझाएगा
सूरज की रौशनी में तपकर ...
इंसा की प्यास भी मिटाएगा
इंसा का पेट भरता जायेगा |
14 टिप्पणियां:
भावो की अभिवयक्ति......
,
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति.
रामराम.
सुंदर अभिव्यक्ति.
खूबसूरत भाव
खूबसूरत भाव
बहुत सुंदर रचना
बहुत सुंदर
वाह !
वर्षा सबको पोषित करती है..
मौसम है जो प्राण भर देता है जीवन में ...
सबका पेट भरेगा ये वर्षा का पानी
बदलता मौसम लायेगा ऋत सुहानी ।
सुंदर प्रस्तुति।।
बहुत सुंदर प्रस्तुति।।।
सभी सम्मानित मित्रों का तहे दिल से शुक्रिया |
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