चर्चा सरे आम कर दिया ....



जब - जब सांस ली दिल का राज़ बयाँ कर दिया ,
वो समझा दिल्लगी चर्चा सरे आम कर दिया |

उसने कहा हमने सुना अरमानों को दफ़न कर दिया ,
वो समझा कमजोरी हमें अपना गुलाम कर दिया |

झुका कर निगाहें हमने उन्हें सलाम क्या कर दिया ,
इस अदा से घबराकर बुर्का हमारे नाम करवा दिया |

आज़ाद - ए - रूह ने मांगी रिहाई तो पहरा बैठा दिया ,
तडपता देख न सका तो बेरुखी से बेसहारा कर दिया |

जब - जब दिल ने चाहा प्यार का पैगाम लिख दिया ,
दिल करने लगा गुस्ताखियाँ तो इल्जाम लगा दिया |

9 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह!!!
बहुत बढ़िया ग़ज़ल

अनु

राजेश सिंह ने कहा…

जब - जब दिल ने चाहा प्यार का पैगाम लिख दिया ,
दिल करने लगा गुस्ताखियाँ तो इल्जाम लगा दिया |

सुन्दर हृदयस्पर्शी

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

जब-जब दिल ने चाहा प्यार का पैगाम लिख दिया दिल करने लगा गुस्ताखियाँ तो इल्जाम लगा दिया,

वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब प्रस्तुति,,,

RECENT POST: गुजारिश,

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

जब - जब सांस ली दिल का राज़ बयाँ कर दिया ,
वो समझा दिल्लगी चर्चा सरे आम कर दिया |


बहुत सुंदर, बहुत सुंदर
क्या बात

Shikha Kaushik ने कहा…

vaah ! bahut khoob

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

वाह बहुत खूब

Ramakant Singh ने कहा…

झुका कर निगाहें हमने उन्हें सलाम क्या कर दिया ,
इस अदा से घबराकर बुर्का हमारे नाम करवा दिया |

सुन्दर हृदयस्पर्शी

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह, बहुत खूब...

संजय भास्‍कर ने कहा…

आज़ाद - ए - रूह ने मांगी रिहाई तो पहरा बैठा दिया ,
तडपता देख न सका तो बेरुखी से बेसहारा कर दिया |

.......बहुत बढ़िया ग़ज़ल