जब - जब सांस ली दिल का राज़ बयाँ कर दिया ,
वो समझा दिल्लगी चर्चा सरे आम कर दिया |
उसने कहा हमने सुना अरमानों को दफ़न कर दिया ,
वो समझा कमजोरी हमें अपना गुलाम कर दिया |
झुका कर निगाहें हमने उन्हें सलाम क्या कर दिया ,
इस अदा से घबराकर बुर्का हमारे नाम करवा दिया |
आज़ाद - ए - रूह ने मांगी रिहाई तो पहरा बैठा दिया ,
तडपता देख न सका तो बेरुखी से बेसहारा कर दिया |
जब - जब दिल ने चाहा प्यार का पैगाम लिख दिया ,
दिल करने लगा गुस्ताखियाँ तो इल्जाम लगा दिया |
9 टिप्पणियां:
वाह!!!
बहुत बढ़िया ग़ज़ल
अनु
जब - जब दिल ने चाहा प्यार का पैगाम लिख दिया ,
दिल करने लगा गुस्ताखियाँ तो इल्जाम लगा दिया |
सुन्दर हृदयस्पर्शी
जब-जब दिल ने चाहा प्यार का पैगाम लिख दिया दिल करने लगा गुस्ताखियाँ तो इल्जाम लगा दिया,
वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब प्रस्तुति,,,
RECENT POST: गुजारिश,
जब - जब सांस ली दिल का राज़ बयाँ कर दिया ,
वो समझा दिल्लगी चर्चा सरे आम कर दिया |
बहुत सुंदर, बहुत सुंदर
क्या बात
vaah ! bahut khoob
वाह बहुत खूब
झुका कर निगाहें हमने उन्हें सलाम क्या कर दिया ,
इस अदा से घबराकर बुर्का हमारे नाम करवा दिया |
सुन्दर हृदयस्पर्शी
वाह, बहुत खूब...
आज़ाद - ए - रूह ने मांगी रिहाई तो पहरा बैठा दिया ,
तडपता देख न सका तो बेरुखी से बेसहारा कर दिया |
.......बहुत बढ़िया ग़ज़ल
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