
कितनी प्यारी कितनी मोहक
छूने भर से खो दे रौनक |
खुशबु से जग को महकाए
भवरों का भी मन ललचाए |
इंसा के मन को ये भाती
दुल्हन को भी खूब सजाती |
प्रभु के चरणों में शीश नवाकर
हर मौसम में फिर से खिल जाती |
अपने रंगों से जग को महकाकर
सारे जग में प्यार फैलाती |
हर घर - घर की देखो है ये शान
सब करते हैं इसका सम्मान |
मंदिर में भी ये ही जाती
मस्जिद में भी शीश नवाती |
इसको न मतलब जात - पात से
हर सांचे में है ये ढल जाती |
मातम हो तो भी आ जाती |
शादी को भी खूब सजाती |
देखो इसमें दीखता कितना संयम
टूटकर डाली से भी खुशियाँ है लुटाती |
मंदिर में भी ये ही जाती
मस्जिद में भी शीश नवाती |
इसको न मतलब जात - पात से
हर सांचे में है ये ढल जाती |
मातम हो तो भी आ जाती |
शादी को भी खूब सजाती |
देखो इसमें दीखता कितना संयम
टूटकर डाली से भी खुशियाँ है लुटाती |
कितनी प्यारी कितनी मोहक
छूने भर से खो दे रौनक |
खुशबु से जग को महकाती
भवरों का भी मन ललचाती |