प्रकृति का नज़ारा
सूरज ने बादलों कि ओट से जो झाँका है !
सारी प्रकृति पर नशा ही तो छाया है !
फूल और पत्तियों मै भी उत्साह जागा है !
जेसे कुच्छ कर गुजरने का ये नज़ारा है !
फसल भी लहलहा के अंगड़ाईयां ले रही हैं !
जेसे पल भर मै कुच्छ गाने जा रही है !
मंद पवन भी अठखेलियाँ लगाती हैं !
जेसे मोसम के बदलाव का जश्न मनाती है !
पंछी भी मस्त गगन मै मदहोश उड़ते हैं !
जेसे अपनी ख़ुशी का वो इजहार करतें हैं !
गिलहरी नाच - नाच के ये जताती है !
जेसे वो बार - बार हमे मुहं चिढाती है !
सर्दी के मोसम का ही तो ये नज़ारा है !
वर्ना गर्मी मै धूप को किसने.......... पुकारा है !
परिवर्तन
परिवर्तन .................................
क्यु होता है ये परिवर्तन ?
कहीं ये हमारे जीवन का हिस्सा तो नहीं ?
जो हर पल हमारे साथ ही रहता है !
पर इसका साथ हमे बैचेन क्यु कर देता है !
परिवर्तन ...........................
अर्थात हमारे जीवन मै कुच्छ ......
बदल देने के संकेत........
जिसके लिए तो हम हरगिज़ तैयार नहीं ?
क्युकी हमे तो आदत है ...........
उन सभी पुरानी चीजों कि
फिर चाहे वो हमे कितना भी...........
परेशान क्यु न कर रही हो !
जिसके तो हम अब आदि हो चुके हैं !
वही हमारी ख़ुशी है और वही हमारे गम भी ,
फिर भी परिवर्तन .........?
और फिर शुरू हुआ ...........
चिंता और परेशानियों का आगमन
अब क्या होगा , केसे होगा ?
काश पहले जेसा ही रहता
पर बिना परिवर्तन के तो जीवन.........
संभव ही नहीं ............
फिर क्यु सोचना ...........
और खुद को परेशान क्यु करना !
परिवर्तन है तभी तो जीवन है !
वर्ना जीते तो सब हैं इस दुनियां मै ,
खुद को बदल कर देखने मै क्या हर्ज़ है !
क्या पता कुच्छ न मिले ?
और अगर मिले तो बहुत ही अच्छा मिले !
इसलिए बुरे को त्याग कर ..........
अच्छे को ग्रहण करते चलो ,
और ईस तरह अपनी प्यारी सी ........
जिंदगी को हसीन करते चलो !
सर्दी का उपहार
सर्दी कि जब बात हो ,
परिवार का भी साथ हो !
नई नवेली दुल्हन कि ,
घर मै जब पुकार हो !
मूंगफली कि आवाज़ हो ,
गुडपट्टी का भी साथ हो !
और एसे मै फिर ..............
लोहड़ी कि ही न बात हो !
इस बार तो फिर ...........
लहलहाती फसलों कि ही सोगात हो !
हर किसान के चहरे पर
बल्ले -बल्ले कि ही आवाज़ हो !
हर घर के आँगन मै ...........
ढोल - नगाड़ों का ही साथ हो !
तो हो जाये एक बार ...............
सुन्दर - मुंदरिये हो ........
तेरा कोंन बेचारा रे .............
दूल्हा भट्टी वाला हो ..............
दुल्हे दी धी व्याही हो .........
सेर शक्कर पाई हो !
आप सबको लोहड़ी कि शुभकामनायें !
जिंदगी
हथेलियों मै पानी सी कभी ठहरती ही नहीं ,
मुठ्ठी मै रेत बन के फिसल जाती है !
पकड़ना तो कई बार चाहा है मैने उसे ,
बंद आँखों के खुलते ही खो जाती है !
मस्त पवन सी झूमती सी आती है ,
आंधी की तरह सब कुच्छ उड़ा ले जाती है !
कडकती धूप मै जब पांव मेरे जलते हैं ,
झट से बदलों की छाँव वो बन जाती है !
ख़ुशी मिले मुझे तो वो दूर मुझसे होती है
गम के आते ही वो मरहम का काम करती है !
हर राह मै वो साथ मेरे चलती है ,
सुख - दुःख का लेखा - जोखा रखती है !
मेरे दुःख मै बिन बादल ये बरसती है ,
ख़ुशी मिले तो ये धूप बनके खिलती है !
जब एक हसीन ख्वाब मै बुनती हु ,
तुझको तो मै साथ लेके चलती हु !
हर ख्वाब सच भी तो नहीं होता ...........
उस वक्त बढकर तेरा हाथ थाम लेती हु !
तेरी हिम्मत से नया ख्वाब में बुनती हु !
फिर बेखोफ आगे का सफ़र तय करती हु !
धर्म
क्या होता है धरम ? किसका नाम है धर्म ?
मार - धाड़ , छीन - झपट नहीं - नहीं धर्म ये तो नहीं !
अगर हम सच मै जानना चाहतें हैं , कि धर्म क्या है ?
तो हमे मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों मै जाकर देखना होगा !
उस वक़्त लोगों के अन्दर का जूनून ...मदमस्त गूंजती आवाजें !
उस वक़्त कुच्छ भी कर डालने का ज़ज्बा ..........................
हमारे तनबदन को झुमने पर मजबूर कर डालता है !
उस वक़्त हमारी भावना इतनी सच्ची होती है ..............
कि हम कुच्छ भी कर गुजरने को तैयार हो जाते हैं !
काश वो ज़ज्बा ....................हर वक़्त हमारे अन्दर रहे
वही एहसास तो धर्म है जो हमें ...............................
कुच्छ कर गुजरने को कहता है !
जिसमें प्यार , शांति , मोहब्बत ,समर्पण .........
जेसे भाव जगतें हैं जो हमे ........बेसाहारा और दिन - दुखियों
कि सेवा करने को प्रेरित करते हैं !
यही तो है वो प्यारा सा धर्म .........................................
जिसको न समझ पाने कि वजह से...................
हम उसकी तलाश ता उम्र जारी रखतें हैं !
अगर वो एहसास हर समय बना रहे तो ............
हमे धर्म कि परिभाषा जानने कि जरूरत ही न पड़े !
प्यारा सा रिश्ता
ये प्यारा सा जो रिश्ता है !
कुच्छ तेरा है कुच्छ मेरा है !!
कही लिखा नहीं कही पढ़ा नहीं !
कही देखा नहीं कही सुना नहीं !
फिर भी जाना पहचाना है !
कुच्छ मासूम कुच्छ अलबेला !
कुच्छ अपना सा कुच्छ बेगाना !
ये मासूम सा जो रिश्ता है !
कुच्छ तेरा है कुच्छ मेरा है !!
कुच्छ चंचल सा कुच्छ शर्मीला !
कुच्छ सुख सा तो कुच्छ संजीदा !
कुच्छ उलझा सा कुच्छ सुलझा सा !
मस्ती से भरा कुच्छ खफा - खफा
ये प्यारा सा जो रिश्ता है !
कुच्छ तेरा है कुच्छ मेरा है !!
कड़ी धूप मै ये साया सा !
अँधेरी रात मै जुगनू सा !
कभी रस्ता है कभी मंजिल है !
कभी धागे से भी ये बंधा नहीं !
कभी तेरा है कभी मेरा है !
ये जो प्यारा रिश्ता तेरा मेरा है !!
ये तो सच्चे मोती के जेसा सा !
दिल की सीपी मै केद किया !
सबकी नज़रों से ढांप लिया !
कभी मन दिया कभी एतबार किया !
सब कुच्छ इस पर ही वार दिया !
कुच्छ मेरा है कुच्छ तेरा है !
ये प्यारा सा जो रिश्ता है !!
कभी तेरा है कभी मेरा है !
ये जो प्यारा रिश्ता तेरा मेरा है !!
ये तो सच्चे मोती के जेसा सा !
दिल की सीपी मै केद किया !
सबकी नज़रों से ढांप लिया !
कभी मन दिया कभी एतबार किया !
सब कुच्छ इस पर ही वार दिया !
कुच्छ मेरा है कुच्छ तेरा है !
ये प्यारा सा जो रिश्ता है !!
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