न ठहरता समय
न ही रूकती है धूप |
कभी खेत - खलियान
तो कभी आँगन में है धुप |
आज का वक्त
कल का पल कहाँ है बना |
समय बीत जाता है
लंबी प्रतीक्षा के बाद |
कितना छोटा होता है
मिलन का वो पल |
नहीं हो पाते उजागर
वो सपनों के पल |
ख्वाबों का सिलसिला
हर पल चलता नहीं |
वक्त के पैमाने में
बार - बार ढलता नहीं |
दहलीज पर खड़ी
जो करती प्रतीक्षा हर पल |
वो पल कभी फिर
सिमटता नहीं |
न ठहरता है कल
न ही रहता वो पल |
सूरज की तरह
वक्त बन सकता नहीं |
आज का गया वक्त
कल फिर ठहरता नहीं |
32 टिप्पणियां:
सूरज की तरह
वक्त बन सकता नहीं |
आज का गया वक्त
कल फिर ठहरता नहीं |
वक्त को किसने पकड़ा हैं कभी --? हमेंशा हाथ से फिसल जाता हैं ....
बहुत संवेदनशील और गहरे भाव की कविता... बहुत सुन्दर
वक्त को कब कौन पकड सका है।
गहन भावों का समावेश हर पंक्ति में ।
ख्वाबों का सिलसिला
हर पल चलता नहीं |
वक्त के पैमाने में
बार - बार ढलता नहीं |...wakai , bahut khoob
धूप छाँव सब यूँ ही निरंतर चलती रहती है ..न वक्त रुकता है न जीवन ..अच्छी प्रस्तुति
आज यहीं ये पल जी लें हम।
वक़्त को कौन बांध पाया है.... सुन्दर रचना....
वाह! बहुत सुन्दर गहरे भाव की कविता
सादर...
वाह! बहुत सुन्दर गहरे भाव की कविता
सादर...
वाह! बहुत सुन्दर गहरे भाव की कविता
सादर...
samay chakra to bahut hi teji se ghoomta hai............
सुंदर भावों से सजी कविता।
aage bhii jaane naa tu..peechhe bhii jaane naa tu...isi ko bataati sundar kavitaa.
मिनाक्षी जी अभिवादन .. जय श्री कृष्ण .. काल के पहिये और चलते जा रहे इस समय के चक्र का सुन्दर वर्णन ...सटीक है निम्न ...धन्यवाद
भ्रमर ५
लंबी प्रतीक्षा के बाद |
कितना छोटा होता है
मिलन का वो पल |
नहीं हो पाते उजागर
वो सपनों के पल |
very sensetive...
समय पीछे से गंजा होता है
वक़्त को परिभाषित कर दिया आपने
आज का गया वक्त
कल फिर ठहरता नहीं ...
बहुत सच कहा है. वक्त को कब बाँध पाए हैं मुट्ठी में. बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति बधाई.
सुन्दर रचना. कुछ वर्तनी की त्रुटियाँ आ गयी है जैसे "धुप" और "बित"
आज का गया वक्त
कल फिर ठहरता नहीं
..सही है।
स्व0 मीना कुमारी की पंक्तियाँ याद आ रही हैं...
जमाना है माजी(अतीत)
जमाना है मुस्तकबिल(भविष्य)
हाल एक वाहमा है
मैने जब किसी लम्हें को छूना चाहा
फिसल कर वह खुद बन गया
एक माजी।
सभी दोस्ती का तहे दिल से शुक्रिया :)
P.N. Subramanian जी आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जी आपने मेरी गलती की तरफ मेरा ध्यान दिलाया आपका बहुत - बहुत शुक्रिया |
देवेन्द्र पाण्डेय जी मीनाकुमारी की पंक्तियाँ सुनाकर आपने उनकी याद याद ताज़ा कर दी बहुत २ शुक्रिया दोस्त जी :)
मीनाक्षी जी वक्त ही ऐसा चीज है जो हाथ में तो आ जाता है किंतु बालू की तरह सरक जाता है । आपकी अभिव्यक्ति अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आने के लिए समय निकालें । धन्यवाद ।
वक्त के गहरे भाव लिए सुंदर कविता.
beautifully captured the essence of time..
loved concluding lines
सूरज की तरह
वक्त बन सकता नहीं |
आज का गया वक्त
कल फिर ठहरता नहीं
सुंदर भावों से सजी कविता।
सब गतिशील है...कुछ भी कहाँ रुकता है.
आज का गया वक्त
कल फिर ठहरता नहीं |kash waqt thahar pata.......
आज का गया वक्त
कल फिर ठहरता नहीं
सुन्दर रचना...
सादर बधाई...
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