चाहत एक नए आशियाँ की

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ए  दिल बता , की तुझे  क्या है हुआ ,
किस बात पर ,  तू मुझसे  है खफा |
ये गमगिनियाँ और ये मजबूरियाँ ,
आ मिलकर मिटा दें अब ये सारी दूरियां  |
मैं ,  मैं न रहूँ  ओर   तू , तू न रहे,
संग मिलकर बनायें , फिर एक नई दास्ताँ |
ए दिल बता  ..........
अरमां यही है दिल में   , हमसब एक हो जाएँ |   ,
न रहे कोई गिला  , सारा जहां अपना कहलाये |
पर ये जो  चमन है  , सिर्फ मेरा ही नहीं है ,
खिलते है फूल मगर , खुशबु ही नहीं  है |
बन जाये ये  महकता चमन गुलिस्तां का
गीत कोई गुनगुनाये , सुर एक सा सज जाये |
ए  दिल बता है ..........
जब होने लगेगी पूरी , मेरे दिल की ये आरजू
सपनों में पंख लगते ही , दिल खुशी से झूम जाये |
देता  है दिल सदाएं , मांग - मांग कर दुआएं
खुदा की रहमत का असर , कभी कम न हो पाए |
हरपल सजाकर के रखना , परवरदिगार की चोखट
फरियादी आये तो , खाली हाथ न जाये |
ए  दिल बता .............

इंसान इंसान से जुदा नहीं


अंजाने एक शोर ने
फिर मुझको चोंका  दिया |
ऐसा लगा की फिर कंहीं
कोई मंजर बिगड गया |
पास जाकर देखा तो
किताबों में थी बहस छिड़ी |
करीब जाकर  सुना तो
बात का पता चल  गया |
सभी ग्रंथों की आपस में
ये अनबन थी चल  रही |
किसका ग्रन्थ संस्कारी
उनमे ये  शर्त थी लगी |
खुद - खुदको न जानकार
बात इंसानी बहस पर थी टिकी |
इसलिए बिना सोचे - समझे
आपस में  ये बहस थी छिड़ी  |
बहुत वक्त गुजर गया
जब न कोई फैसला हुआ |
फिर छाई थोड़ी  चुप्पी
और समां  बदल गया |
सब एक दूसरे से
खुश हो - होके गले मिलने लगे थे |
सब ग्रंथों का एक ही है कहना
ये कह - कहकर सब खुश हो रहे थे |
अब साथ - साथ रहेंगे
उन्होंने तय था कर लिया |
साथ रहने में ही है मज़ा
सबने अब ये फैसला था कर लिया |