
कौन जाने , कब , कहाँ कोई , राह भूल जाएँ |
अपनी उम्मीदों की शमां को , जलाये रखिये |
बारिशे तो आती - जाती है तूफ़ान गुजर जातें हैं |
बस अपने पाँव को जमीं में जमा कर रखिये |
घर की ये बात है निकले न घर से बाहर |
आप बस खिड़की दरवाजों को बंद रखिये |
बैठे रहे कोहनी टिकाये गाल पर कब तलक |
इंतज़ार में दरवाजें की दस्तक का ख्याल रखें |
हालें दिल अब तो बयाँ हो जाता है आँखों में |
मैं न कहती थी पानी है आँखों को बंद रखिये |
देर तक गरजते बादलों का शोर सुनने पर |
भीड़ का हिस्सा बने रहने से परहेज रखिये |