पल - पल बदलता वक़्त



लम्हा - लम्हा जिंदगी कुछ यूँ सिमट गई ,
जो मज़ा था इंतजार में अब सज़ा बन गई |

दर्द और ख़ुशी के बीच दूरियां जो बड गई ,
दिलो के दरमियाँ मोहोब्बत कम हो गई |

चिठ्ठी - तार बीते जमाने की बात हो गई ,
आधुनिक दौड़ में वो बंद किताब हो गई |

कुछ सवाल हदों की सीमाएं पार कर गई ,
वक़्त के साथ अपने कई निशां छोड़ गई |

खफा नहीं , जिंदगी हमपे मेहरबान हो गई ,
भडास निकली तो बात आई - गई हो गई |