
ये हमारे देश मै नहीं दुनिया भर मै घटने वाली जटिल समस्या है जिसको हम किसी भी तरह नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते जिसकी खबर हम हर रोज़ अख़बार , टेलीविज़न के माध्यम से देखते और सुनते हैं | कितना प्यार करते हैं हम अपने बच्चो से ? हमारा जवाब होता है ''''''''बहुत ज्यादा ;;;;; कितना ख्याल रखते हैं हम अपने बच्चो का ? हमारा फिर वही जवाब '''''बहुत ज्यादा | फिर ये सब कैसे हो जाता है ? कहीं न कहीं तो हम उनकी देख रेख में चुक कर ही रहे हैं जिसका भुगतान हमारे मासूम बच्चों को उठाना पड़ता है ! कौन सी है हमारी वो भूल ? हमें अपने बच्चों के साथ एक दोस्त की तरह रहना चाहिए अपने रोज़ -मर्रा की जिंदगी मै से कुछ पल उनके साथ व्यतीत करना चाहिए उनके खट्टे - मीठे पलों को उनके साथ बाँटना चाहिए | उनका विश्वास जीतना चाहिए क्युकी हर इन्सान अपने साथ घटित घटना को किसी न किसी के साथ बंटाना चाहता है और उसकी प्रतिक्रिया जानना चाहता है | जब हम अपने बच्चों के करीब जायेंगे उनके एहसासों को बाँटेंगे तभी हम उनके जीवन की गतिविधियों से अवगत रह पाएंगे और वो हमसे खुल कर अपने दिल की बात कह पाएंगे | हमें एसा करके उन्हें अच्छे - बुरे का ज्ञान देकर उनकी हिम्मत को बढाना है जिससे वो अपने खिलाफ होने वाले शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठा सके और दोषी को अपनी हिम्मत से पस्त कर सके | हमें अपने बच्चों की नींव इतनी मजबूत करनी होगी की वो थोड़े से ही हिलाने से गिरे नहीं बल्कि उसे ही गिरा दे जो उनकी नींव को हिलाना चाहता है और ये काम कोई और नहीं हम माँ-बाप ही अच्छी तरह कर सकते हैं क्युकी वो किसी और की नहीं हमारी और आपकी जिम्मेदारी है जब हम ही उन्हें संरक्षण नहीं दे पाएंगे तो हम दोषी को सजा कैसे दिला पाएंगे |