रंगों की मस्ती


हर तरफ ये कैसी मस्ती छाई है |
सबके चेहरे में प्यारी सी रंगत आई है |
सारी सृष्टि  रंगीन होती नज़र आई  है |
अरे  ये सब तो होली ही लेकर आई है |

मन तो मेरा भी इस कदर बेताब है |
कुछ को रंगने , कुछ से रंगने को बेकरार  है |
न जाने अब कितना और इंतजार है |
लगता है मेरी तरह हर दिल बेकरार है |

चलो अब टोली में हम भी रम जाएँ |
थोडा इसे और थोडा उसे भी रंग आयें |
न जाने फिर ये पल लौट  के कब आयें |
अपने अरमान आज ही पूरा कर आयें |

क्यु न कृष्ण की राधा हम ही  बन जाएँ |
राधा बन - बन के कृष्ण को हम तडपायें |
वो तो हर बार नए - नए रूप से रिझाता है |
आज हम भी उसी रूप में क्यु न ढल जाएँ |

बच्चों के जैसे आज हम क्यु न हो जाएँ |
सबकुछ भुला के उस में ही हम क्यु न खो जाएँ |
सारी दुनिया से कुछ पल को बेखबर हम हो जाएँ |
रंगों की प्यारी सी दुनियां में इस कदर हम खो जाएँ |

सबसे प्यार से मिले , सबको प्यार ही हम दें |
बच्चो को प्यार , बड़ों का आशीर्वाद भी लें |
इन  रंगों को अपनी यादों में एसे बसा हम लें |
इन्हीं रंगों से अपना जीवन भी रंगीन बना लें |

आप सभी को होली की बहुत - बहुत शुभकामनायें |

कुछ भी बनों

धनवान बनों , विद्वान् बनों , 
पर सबसे पहले इन्सान बनों |
गुणवान बनों , बलवान बनों ,
पर सबसे पहले मददगार बनों |
खुद के लिए जैसे तुम जीते हो ,
दुनियां में तुम वैसी  शान बनों |
बेनूर नज़र के  नूर बनों |
दुखियों की तुम मुस्कान बनों |
जो बेबस हैं ठोर- ठिकानों से ,
उनके तुम बस साहेबान बनों |
सूरदास बनों , रसखान बनों ,
पर सबके तुम राजदार बनो |
करो कुछ एसा दुनियां में ,
की तुम ही खुदा के अवतार लगो |

निर्माण

अपनी आहों में पहले जैसा  असर पैदा कर |
वही जोश, वही हिम्मत, वही ज़ज्बात पैदा कर |
हर किसी के दिल में वो बेमिसाल हिम्मत पैदा कर |
आदमी - आदमी का दुश्मन हरगिज न बनें |
इन्सान के अन्दर कुछ एसा जज़्बा पैदा कर |
मंजिले दूर हैं ! सफ़र तय करने की हिम्मत पैदा कर |
खुद ब खुद सर झुकाए इन्सान ...
अपने आप में एसा हुनर तू पैदा कर |
कोई न पूछेगा इस भरी दुनिया में ...
कुछ पाना है तो ... खुद के अन्दर वो जूनून भी पैदा कर |
मौत भी याद रखे ... तुझे हर हाल में ,
इसलिए अपने दिल में खुदा का डर  भी पैदा कर |
आहों में पहले जैसा असर तू पैदा कर |
आहों में पहले जैसा  असर तू पैदा कर |