दोस्ती


मैं आपको अच्छी किताब समझती हूँ |
आपके दिए सम्मान को मैं प्यार समझती हूँ |
क्या है ये रिश्ता जो दूर हैं आप हमसे  ,
फिर भी सबको मैं अपने पास समझती हूँ |
आपकी वाह - वाह  मुझको  सम्मान है देता  |
ना - ना बेहतर लिखने का संकेत समझती हूँ |
यही अहसास हमें एक सूत्र में है बांधे  ,
इसको आपसे जुड़ने का सोभाग्य  समझती हूँ |
क्या किससे है पाना , किसमे क्या है खोना |
इन सबके अहसास से मैं दूर ही रहती हूँ |
जीवन में जीने के लिए  कुछ तो है करना |
इसलिए मैं हररोज एक कविता लिख देती  हूँ |

जिंदगी एक पहेली


आज भी इंसान
उसी दौर से  गुजर रहा |
बेशुमार भीड़ मगर
तन्नहाइयों में है  पल रहा |
निगाहें  - निगाहों  को
खोज रही है राहों में    |
जैसे  एक - दूसरे का साथ
नागवारा  लग रहा |
सहरा में तन्हा  रूह को ...
प्यासा  देखकर |
पानी की तलाश में
इंसा यहाँ - वहाँ है फिर रहा |
अपनी जिम्मेदारियों से
परेशान तो है सब मगर ...
कारवां  जिंदगी का
फिर भी है गुजर रहा |
नए - नए सपनों की
सौगातें सजा कर |
इंसा अपने जीने को
आसां है कर रहा |
तपती गर्मी से झुलसते
पौधों को देखकर |
माली देखो  पानी की
बौझारें कर रहा |
दूर बैठा कवी
हाथ में कलम थाम कर |
जिंदगी को लिखने की
कोशिश है कर रहा |