देश की शान


देखो रे कमाल रे 
सायना का कमाल रे 
कोमंवेल्थ  मै रच दिया 
एक नया इतिहास रे 
वो आज बन गई
 हिंदुस्तान की शान रे 
सारी दुनिया कह रही 
कमाल रे कमाल रे 
छोटी  सायना  का नाम 
ले रहा सारा जहान रे 
हमारे देश को उसने 
कर दिया मालामाल रे 
उसके साथ हमारा भी 
हो गया देखो मान रे 
वो अभी तो ले रही है 
अपनी मेहनत का इनाम रे 
मैने भी लिख दिया 
उसके नाम ये पैगाम रे 
आज मेरा भी दिल कह रहा है 
तू जिए हजारों साल रे !

मजदुर


बड़े बड़े महलों मै लोगो का बसेरा है !
                  गरीब की मेहनत ने इसे  पिरोया है !
एक २ ईंट की कीमत  खून पसीना है ! 
                ये गरीब तो हर हाल मै  एक नगीना है !
उसकी मेहनत को हर कोई न जाना है !
              उसका  तो आज यहाँ कल कही और ठिकाना है !
पापी पेट है कुच्छ न कुच्छ तो कमाना  है !
                हर इंसा को एक झत दे के निकल जाना  है !
अपनी तमनाओ को दफ़न ही तो ये करते  हैं ! 
                   फिर भी हर हाल मै मुस्कुराते रहते हैं !   
काश हम कुच्छ पल को इनको खुश कर पाते !
                 इनकी मेहनत मै तो जेसे चार चाँद लग जाते !
ये तो बस पल  भर की ही तो ख़ुशी चाहते हैं !
                   और सारी जिंदगी की हमे ख़ुशी दे जाते हैं ! 

कुच्छ फुर्सत के पल लहरों के संग

                     
आज हम सागर किनारे आये हैं 
            कुच्छ उसकी और कुच्छ अपनी सुनाने लाये हैं !
किसको फुर्सत है इस भरी  दुनिया मै , 
                    इसलिए सिर्फ तन्हाई ही साथ लाये हैं !
जानते हैं हम की वो भी अकेला है !
                  क्युकी दुनिया तो भीड़ भरा मेला है !
सब तेरे पहलु मै आके चले जाते हैं !
                 अपना हर दर्द तुझको सुना जाते हैं !
शायद तेरी ख़ामोशी का फायदा उठाते हैं !
                तेरे भीतर  के दर्द को न जान पाते हैं !
तेरी हिम्मत की हम दाद देते हैं !
                  फिर भी तुझसे ये राज़ आज पूछते है !
क्या  एसी बात है की इतना खामोश है तू !
                  हम तो थोड़े से गम मै ही टूट जाते हैं !
तेरी लहरों से तो हमे डर लगता है !
                  फिर भी तुझमे समां जाने का दिल करता है !
ना जाने किस किनारे मै ले जाएँगी ये लहरें !
                  बस तुझसे बिझ्ड़ने का ही डर रहता है !

प्रसिद्ध हिडिम्बा देवी मंदिर

    Hidimba Devi Temple   हिमाचल प्रदेश में  लकड़ी से बने हजारों साल पुराने विभिन्न देवी -देवताओं  के बहुत  से मंदिर आज भी पर्यटकों एवं श्रद्धालुओ के आकर्षण का केंद्र हैं | इन्ही मै से एक है  - "हिडिम्बा मंदिर" जो हिमाचल का गोरव माना जाता है |
                                महाभारत के भीम का विवाह हिडिम्ब राक्षस की बहन हिडिम्बा से हुआ था | भीम और हिडिम्बा के संयोग से उत्पन पुत्र घटोत्कच महाभारत युद्ध में  पांड्वो की और से अद्भुत वीरता का प्रदर्शन करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ था | महाभारत में जैसे  की वर्णन मिलता है , अपने आहार की खोज में  निकले हिडिम्ब राक्षस का भीम के साथ भीषण द्वन्द होता है और अंत मै भीम हिडिम्ब को मार देता है | इस घटना से दुखी हिडिम्ब की बहन हिडिम्बा कुंती समेत पांड्वो पर आक्रमण करना चाहती है किन्तु भीम का सरूप देख कर मोहित हो जाती है | अंत में  माता कुंती की अनुमति से उसकी शादी भीम से हो जाती है | इस एकाकिनी- युवती ने आत्मनिर्भरता के आदर्श को निभाते हुए पुत्र घटोत्कच का पालन - पोषण किया और समय आने पर कुरुक्षेत्र के मैदान में  प्राणोत्सर्ग के लिए उदार मन से बेटे को भेज दिया | यह है एक आदर्श भारतीय नारी का उदाहरण "नारी तू नारायणी है " और " या देवी सर्व भूतेशु मात्रिरुपेन संस्थिता " के पवित्र सन्देश को आदर्श बनाकर हिमाचल -वासियों ने हिडिम्बा को अपनी श्रद्धा -आदर से देवी का परम पद प्रदान किया और इस हिडिम्बा मंदिर मै उसको प्रतिष्ठापित किया है | कुल्लू का राजवंश हिडिम्बा को कुलदेवी मानता है | ऐसा  माना जाता है की १५५३ इ. स. में  कुल्लू के महाराजा बहादुर सिह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था |
                                                            समुन्द्र  तल से १२२० मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुल्लू से मनाली की दुरी ४० किलोमीटर है | मनाली शहर से एक किलोमीटर की दुरी डूंगरी स्थान पर यह हिडिम्बा मंदिर अपने विशिष्ट काष्ठ के अद्भुत शिल्प शोभा के साथ विराजमान है | ४० मीटर ऊँचे इस हिडिम्बा मंदिर का आकर शंकु जैसा  है | उपर तीन झत वर्गाकार है और चौथी  झत  शंकु आकर की है जिस पर पीतल चारो और से लगा है | मंदिर के गर्भ ग्रह  में  विशाल शिला है , जिसमे से शरीर - भाग का आकर , देवी के विग्रह का साक्षात् प्रतिमान है |
                                                                                     वैसे  तो हिमालय माँ पार्वती  के जनक हैं पित्रचरण  और कैलाश  उनका पतिगृह है , यानि यह हिमाद्री क्षेत्र भगवती दुर्गा का लीला स्थल है | अत: यहाँ के कण - कण मै शक्ति चेतना भरी पड़ी है | इस विशेष सन्दर्भ में  यहाँ के निवासियों की परम्परा भी अद्भुत है की कुल्लू के विश्व - प्रसिद्ध दशहरा की नयनाभिराम , देवी - देवतओं  की शोभा यात्रा तब तक आरम्भ नहीं होती , जब तक की इस पूरी शोभा यात्रा के नेतृत्व के लिए हिडिम्बा - देवी का रथ सबसे आगे तैयार न हो जाये |
                                                                       जय माता की | आप् सबको नवरात्री कीबहुत - बहुत शुभकामनायें दोस्तों | :)