एक अनबुझ पहेली


जवाब दिया तब , जब बात बेवजह की होने लगी  ,
चर्चा जब देश पर हुई तो फिर पन्ने पलटने लगी  |

बेफिक्र घरों में बैठ गुफ्तगू यहाँ - वहां की होती रही ,
सरहद में चली गोलियां तो माँ की कोख उजडने लगी  |

क्या कीमत है देश में किसी शहीद - ए - जवान की ,
कोई कैसे कुछ कहे तोपों की सलामी जो मिलने लगी |

बिगड़ रहा है माहौल या गुंजाईश  बची है सुधरने की ,
सब हो गये है भ्रष्ट या इंतजार की तारीखें बढ़ने लगी |

बात - बात पर बात तो अक्सर इबादत की होती रही
दिल जब जिद्द पर अडा आबरू औरत की लुटने लगी |