कोई तो अपना होता


सारा संसार नारी बिन अकेला |
हर आस्तिव इस बिन अधूरा  |
हर पल वो आदमी के साथ  |
उस बिन इंसा कहाँ है साकार ?
उससे मिलकर ही तो बना
ये प्यारा सा संसार|
पर न जाने इस बात से
इंसा क्यु करता है इंकार  |
सबने अलग - अलग ठंग से .....
नारी से है  प्यार लिया ...
पर उसकी झोली में तो हर पल
दर्द ही दर्द दिया |
सबने उसके दामन को.
आंसुओ से भरना चाहा  
पर तब भी उसने ...
उस घर की खातिर ही जीना चाहा |
ऐसा  नहीं की नारी शक्ति में  
कोई बल न हो मिला |
झाँसी की रानी भी तो 
उसी शक्ति की ... है प्रतिमा |
उसके अन्दर का  कोमल हृदय
उसे ये सब न करने देता है  |
अपनी हर भावनाओ को ...
त्याग दूसरों की इज्ज़त करता है |
नारी का  समर्पण ही तो ...
ये सब कुछ कहती  है |
इतना दर्द समेटे आँचल में
फिर भी सबके आगंन में 
खुशियाँ  भरती है |
नारी की इस पीड़ा को 
अगर कोई समझ पाता
|उसके कोमल ह्रदय में भी 
बहारों का चमन खिल जाता | 

.माँ का दर्द निराला

सिर्फ एक सन्देश जो माँ की भावनाओं से अन्जान हैं !
कहते हैं सब ये ......
की माँ ....हर दम रोती है .......
बचपन मै बच्चों को .......
भूखा देख  तड़पती है !
रात - रात भर जाग - जाग  .
 फिर लोरी सुना............
खुद जगती है !
बच्चों  की बेबसी को
खूब वो समझती है !
तभी तो  अच्छे - बुरे एहसासों मै 
हर पल साथ वो  रहती है !
बच्चों को सारा जीवन दे.............. 
फिर अपना सफ़र वो तय करती है !
बुड़ापे मै जब कभी वो ..........
बेबसी से गुजरती है !
तब कुच्छ बच्चे उन्हें .......
कुच्छ एसा सिला दे देते हैं !
उनके दर्द को कुच्छ और ......
बड़ा........... कर देते हैं !
उनके ही  घर से उन्हें ..........
बेदखल करने का बड़ा गुनाह
 वो कर देते हैं !.
और फिर शयद सारी जिंदगी 
खुद भी तो वो तडपते हैं ! 
माँ जब पहले रोती थी !
तब भूखा देख के रोती थी !
और आज भी जब वो ..........
रोती है तो ..........
शायद हमारी  बेबसी
 पर ही रोती है .............
कितना प्यारा है ये रिश्ता
जिसमे कोई  लालच  नहीं
और किसी से कुछ  ...........
पाने की भी चाहत नहीं .......
काश माँ की  ममता को
हर कोई जान पाता
तो  सबका जीवन भी..........  
बिना प्रयत्न के ही  सफल हो जाता !
 माँ को भी तो  ..........
हमारी  इस बेवजह की बेबसी पर
यु आंसू  न बहाना पड़ता ......
तो क्यु न  उन आंसुओं को ..............
हम बहने से पहले ही रोक दें !
और उसके प्यारे एहसास को ...........
फिर से नया जीवन दे दें !

जन्म दिन की बधाइयाँ



  अटल जी अटल जी 
                    भोले   भाले अटल जी !
क्रिसमस के ही दिन तो 
                    धरती  पे आये अटल जी !
इतने बड़े देश मै ..............
                 कुच्छ के तो प्यारे अटल जी !
राजनीति से जुडके भी............. 
                 अच्छे कवि कहलाये अटल जी !
जिंदगी के तन्हा सफ़र मै 
                 सबसे प्यार करते हैं अटल जी !
आज तो इस सफर के मोड़ पर  
                        85 के हो गये  अटल जी !
जिंदगी मै क्या खोया क्या पाया 
                 ये तो वो ही बेहतर हमसे जानें  ! 
 पर आगे के सफ़र की ...............
                लख  - लख बधाइयाँ  अटल जी !  

अपने अपने क्रास



                                                        परम हंस योगानंद ने क्रिसमस के अवसर पर अपने अमेरिका श्रोतओं से कहा था की ' इस ब्रह्माण्ड मै क्राइस्ट- चेतना  विशेष रूप से सक्रीय हो जाती है ! सच्चे  साधक मै विश्वयापी क्राइस्ट की भावना जन्म लेती है ! ध्यान के माध्यम से अज्ञान के बादल छितरा  जाते हैं और बंद आँखों के पीछे के अंधकार मै देवी आलोक के दर्शन होने लगते हैं ! जन - जन मै ये प्रकाश उदित हो यही इस पर्व का उद्देश्य  है !' प्रभु का अंश लेकर जब - जब कोई महान आत्मा इस धरती पर उतरती है , उसका स्वागत  करने के लिए हमे अपने दिल के दरवाजे खोल कर रखने होंगे ! तभी उस चेतना को हम आत्मसात कर पाएंगे ! ईसा मसीह ने कहा है ................' Behold I stand at the door and knock , If any man can hear my voice and open the door , I will come into him sup with him he with me '  अर्थात देखो मै तुम्हारे द्वार  पर खड़ा दस्तक दे रहा हु ! यदि कोई मेरी आवाज़ सुन कर द्वार खोलेगा तो मै अन्दर आकर उसके साथ आ कर भोजन करूँगा और वो मेरे साथ !
                राम और कृष्ण के आह्वान को भी शबरी ने सुदामा ने , विदुर ने सुना था और उनका सानिध्य पाने का सोभाग्य पाया ! ' बड़े दिन ' के झिलमिलाते उत्सव मै जन्म की बधाइयों के बीच से ईसा मसीह की क्रास पर कीलित छवि की करूणा बार - बार उभर कर आ जाती है ! सर्वशक्तिमान होते हुए भी अवतारों , महान आत्माओ को साधारण जन की तरह अपने - अपने क्रास पर लटकना पड़ता है ! यीशु की महिमा केवल मानव जाती के उद्धारक और ईश्वर के पुत्र के रूप के कारण ही नहीं , बल्कि ' सहनशीलता ' की साकार मूर्ति की वजह से भी है ! बाइबल मै कहा गया है ..............की इश्वर हम पर कभी इतना बोझ  नहीं डालता , जिसे हम सहन न कर सके ! उस दुख से  बचने के रास्ते होते हैं , पर बचाव अस्थाई ही होता है ! टाल जाने पर भी वही स्थिति दुबारा आ खड़ी होती है ! इसलिए बचने की कोशिश से कहीं  बेहतर है , उसको पार कर लेना , वश मै कर पाना ! यीशु पर भी जब पीड़ा का समय आया तो उन्होंने कहा ' प्रभु मुझे इस समय से बचाओ फिर साथ ही कहा मै इसी समय के लिए ही तो आया था ' दुख चाहे दूसरों की मुक्ति के लिए सहा जाये , चाहे आत्मविकास  के लिए या दुसरो के कर्मो के कारण सहना पड़े , ईश्वर का प्रसाद समझकर  धीरज से जो व्यक्ति सह लेता है वही कुंदन बनता है ! दुख हमारी साधना , मुक्ति और आस्था की परीक्षा है ! दुख का मातम मनाने , उसे सँभाल कर रखने से वह दुगना हो जाता है ! कष्ट के समय छोटे - छोटे सुखों को याद करने से दुख का प्रभाव कम होता है धेर्य से दुखों  को सहने के बाद पुनरुत्थान मिलता है , जेसे ईसा मसीह को मिला !
                          बुद्धिमान व्यक्ति सदेव आत्मसंतुष्टी   रूपी लो को
                            अपनी इच्छाओं की आहुती से प्रकाशमान
                                     बनाये रखते हैं !

कमसीन कली


वो जो फूल बन  खड़ी थी ,
                 मेरे जाते ही महक बन उड़ गई !
वो जो बर्फ बन खड़ी थी ,
                मेरे जाते ही पानी बन पिघल गई !
वो जो नदी बन चड़ी थी ,
                मेरे जाते ही रेत बन बिखर गई !
वो जो जुगनू बन चमकी थी ,
                 मेरे जाते  ही रात बन खो गई !
नए नए  रूप मै पास बुलाती थी ,
              न जाने वो  गुम क्यु  हो जाती थी !
कभी जुगनू ,कभी तितली बनकर ,
                 मेरे ख्वाबों मै वो रोज़ आती थी !
नए- नए रंग फिर वो भरती थी ,
                 मेरे सपनों को रोज़ सजाती थी !
केसी थी वो कमसीन कली ,
                   जो रोज़ मुझे सताती थी ! 
जब मै ....करीब जाता था ,            
             तो मुझसे अपना दामन बचाती थी !
मै दिन भर सपने सजाता था ,
                    वो रात होते ही पलट जाती थी !

भ्रष्टाचार



ताक़त की ख्वाइश ,
                लुट का लालच ,
                             कमजोरो पर ज़ुल्म
                                               कुच्छ का कहना है की ये सब ज़ज्बात हैं !
                      
                           हम खुद को कितना बेहतर  ढंग से समझते हैं इस बात का प्रभाव सामाजिक वास्तविकता की हमारी संचालन क्षमता पर गहराई पूर्वक पड़ता है ! कुच्छ क्षेत्रो मै  हम खुद को बेहतर तरीके से जानते हैं , लेकिन कुच्छ मामलो मै अपने अच्छे रूप मै दीखने की जरुरत या अच्छे पूर्वाग्रह के चलते हम अपने आप से अजनबी बने रहते हैं ! समय बीतता जाता है और हम खुद से ही रूबरू नहीं हो पाते हैं 
                                                             मेरे ख़याल से भ्रष्टाचार  शब्द अपने  आप मै अलग - अलग  बातों  से ताल्लुख  रखता है ! आज दुनिया मै हर तरफ इसी का ही बोल - बाला है और आज ये हर तरह के व्यवसाय मै अपना परिचय बहुत खूबसूरती से करवा रही है ! यु कहो की आज सारी दुनिया इसी के रंगों मै रंगी  पड़ी है ! क्यु  बन जाते हैं लोग भ्रष्टाचारी ? क्या पैसा कमाने की होड़  इसका कारण हो सकता है पर अगर फुर्सत से बैठ कर सोचा जाये तो एक इन्सान को अपने जीवन यापन के लिए कितने पैसों  की जरुरत पड़ सकती है ! दो मुठी के बराबर हमारा पेट है और एक छोटा सा घर और शरीर डाकने के लिए कपडा फिर उससे ज्यादा मिलने के बावजूद भी  क्या चाह रहे हैं हम सब ? फिर ख्याल आता है की कही ये इंसा से ........इंसा  की आगे निकलने की दोड़ तो नहीं अपने आप को एक दुसरे से अच्छा साबित करने की होड़.................. की कही मेरा प्रदर्शन उससे कम न हो जाये और मै इस दोड़ती हुई दुनिया के हाथ से छुट न जाऊ ! और इसी वजह से आज लोगो के अन्दर से बेज्ज़ती , बदनामी ,और संस्कार जेसे शब्दों का एहसासों  ही ख़तम होता जा रहा है उनके पास इतना समय ही नहीं है की वो एक दुसरे की भावनाओ को सुने समझे और विचार कर सके जब  एक दुसरे के लिए  समय ही नहीं होगा तो एहसास को  केसे  महसूस कर पाएंगे ! उन्हें अब इन बातों से कोई फरक नहीं पड़ता की कोई उनके बारे मै क्या सोचता है उसे तो बस भागते जाना है और कुच्छ भी अच्छा या बुरा करके दुनिया के आगे अपने आप को साबित करना है फिर उसके लिए उसे लुटपाट ,चोरी चकारी  यहाँ तक की उसे बलात्कार करके किसी की जिंदगी से खेलने मै भी कोई फर्क नहीं पड़ता ! उसे तो अपना काम करना है बस उसे किसी की भावनाओ की कोई कदर नहीं है ! ये सब उसकी परवरिश , संकुचित सोच और बेबसी की कहानी बयाँ  करती है ! और इन मै से कुच्छ के जिमेदार हम और हमारा  समाज  भी है जिसने उसके अन्दर इस तरह का ख़ालीपन और सोच को जन्म दिया !
          आज दुनिया इतनी तेज़ी से भाग राही है की उसका मनुष्य से मनुष्य का ताल मेल ही ख़तम होता जा रहा है ! कुच्छ लोग इतने आगे निकाल गये हैं की उन तक पहुँच पाना एक आम आदमी के बस की बात ही नहीं है उन्हें खुद भी नहीं पता की उनका आगे का लक्ष्य अब क्या है और कहाँ तक  और जाना है ! और दूसरी तरफ ये हाल है की खाने के लिए कुच्छ भी नहीं है न कोई लक्ष्य ही नज़र आता है वो तो बस अपना लक्ष्य बदल- बदल कर उनकी परझाइयो  को छूने की कोशिश मै लगे हुए हैं ! और उन्ही के नक़्शे कदमो को बदल - बदल कर उन्ही के हथकंडे अपना रहे हैं ! उन्हें ये सब सोचने की जरुरत ही महसूस नहीं हो रही की क्या गलत और क्या सही है क्युकी वो सब तो उनकी नजरो मै महानायक........... हैं फिर वो गलत केसे हो सकते हैं ! इसी वजह से अत्याचार  , लूटमार , बलात्कार आदि को अंजाम दे दे कर वो अपना नाम दर्ज करवाते जा रहे हैं और देश एक भ्रष्टाचार  का रूप लेती चली जा रही है  देश मै अराजकता फेल रही है ! सीधी सी बात है समाज मै रह कर जब कोई सिर्फ आपने बारे मै ही सोचेगा तो ये सब होना तो लाज़मी सी बात है हर कोई अपनी मर्ज़ी से  काम करता है और आपने प्रदर्शन  मै होने वाली टिप्पणी  का इंतजार  औरउसके बाद  फिर आगे की तैयारी शुरू की अब मै एसा क्या करू की फिर सारी जनता का ध्यान मेरी तरफ खींचे !
                  ये झूठी ....... वाह - वाही ही इन्सान को इतना भागने को मजबूर कर रही है ! जबकि जिंदगी जीने के लिए इतने संघर्ष की जरुरत  नहीं पड़ती ! अगर इन्सान का बेहतर करने का मुकाबला किसी दुसरे इन्सान से न होकर अपने  आप से ही हो तो ! ये सब बाते की कोई क्या कर रहा होगा ? मै उस जेसी क्यु  नहीं हु ??  वो मुझसे बेहतर क्यु  है ये सब बाते एक आम इन्सान को बैचेन करने के लिए बहुत बड़ी भूमिका निभाता है  और वो अपने आप को भूल कर दुसरो के पीछे भागने लग जाता है और आपने आस्तित्व को ही भुला बेठता है ! और खुद को भूल कर इस बैचेन कर देने वाली भीड़  का हिस्सा बन जाता है ! अगर हमारा मुकाबला हर वक़्त अपने आप से हो की हमने आज इतना किया और कल इससे  और बेहतर करे तो हम बिना कोई गलत काम का सहारा लेकर अपने  आप को आसानी से उन उँचइयो तक पहुंचा सकते हैं ! शायद हकीक़त मै इसी का नाम एक खुबसूरत  जिंदगी है ! बाक़ी इतनी बड़ी दुनिया मै सबकी अपनी - अपनी सोच है !
                       डसेगा  तुमको ये लालच ...........
                                          हम न कहते थे ?
                      पलट जाएगी एक दिन बाज़ी...........
                                        क्या हम न कहते थे ?

शतको का शहंशाह

लिखना तो आज हम कुछ और चाह रहे थे पर हर तरफ सचिन सचिन के शोरे ने जैसे कुछ और लिखने ही नहीं दिया तो हमने भी अपना रुख सचिन की तरफ ही मोड़ लिया सोचा क्यों ना हम भी अपने देश के महानतम बल्लेबाज़ सचिन के लिए दो शब्द कह ही दे ! जिस तरह से वो अपने आप को इतिहास के पन्नो मै दर्ज करवाते जा रहे हैं  सच मै काबिले तारीफ है ! हम तो ये कहेंगे की अगर किसी  भी तरह का ठंग व् तकनिकी का संगम कही देखना हो तो वो सचिन की बल्लेबाज़ी मै मिलती है !
                                                                आज से 21 साल पहले सचिन ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 88 रन बनाये थे जब वो लोट कर पवेलियन आ रहे थे तो उनकी आँखों मै आंसू थे !अपने करियर का पहले  शतक से चुक जाने का दर्द उनकी आँखों से साफ़ झलक रहा था ! उसी सचिन ने उस दर्द को अपने ज़ेहन मै एसे संजोया  की उसे ही अपनी हिम्मत बनाकर आगे का सफ़र जारी रखते हुए  टेस्ट क्रिकेट मै अपनी 50 वी सेंचुरी  दर्ज कर दी ! क्रिकेट के प्रति उनके बेइंतिहा  प्यार , सम्मान  और प्रशंसको के विश्वाश को बनाये रखने के ज़ज्बे ने उनके लक्ष्य तक पहुँचने के सफ़र को आसां बना दिया ! सचिन के चाहने वालो ने उन्हें क्रिकेट की दुनिया का भगवान  तक नाम दे दिया ! जनता का उनके प्रति प्यार , सम्मान , भरोसा और उनका साधारण व्यक्तित्व जनता को प्रभावित  भी करता है ! क्युकी मनुष्य की पहचान उसकी एक खूबी को लेकर नहीं बल्कि उसके सभी पहलुओ को लेकर की जाती है !
                                                    सचिन के धुवांधार बलेबाज़ी ने लोगो के दिलो मै क्रिकेट के प्रति लगाव को और अधिक बढावा दिया है ! समय - समय पर उनके प्रदर्शन को देखते हुए उनके साथी खिलाडियों ने उन्हें खुबसूरत टिप्णियो से भी नवाज़ा है ! एक बार डान ब्रेडमेन ने कहा था ................सचिन को दूरदर्शन मै खेलते देखकर मुझे लगता है जेसे मै ही खेल रहा हु !इसी तरह सर गिरफिल्ड सोबर्स ...............ने उन्हें दुनिया के महानतम खिलाडियों से नवाज़ा था ! उन्होंने कहा था ...............मैने बहुत से तेंदुलकर देखे , लेकिन उनमे से ये बेस्ट है ! सचिन को क्रिकेट का भगवान पहली बार........... बेरी रिचर्ड्स ने कहा था !
                             वन डे मै 46 सेंचुरी और सबसे ज्यादा रन ! टेस्ट मै 50 सेंचुरी  और सबसे अधिक रन सच मै किसी का किसी के प्रति जूनून और हिम्मत ही ये सब कमाल करवा सकती है ! जब विव रिचर्ड्स............. जेसा महान खिलाडी ये कह सकता है की मै सचिन को टिकट लेकर भी खेलते देखना चाहूँगा तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है ! उन्होंने सचिन को 99.5% परफेक्ट बताया था ! ये सभी बाते सचिन को सबसे हटकर एक अलग पहचान दिलाती है !
सचिन के शतको  का सफ़र ........................................
   
पहला शतक ........119 रन .........इंग्लैंड ...........14 अगस्त 1990 .........मेनचेस्टर
10 वां शतक ........117 रन .......इंग्लैंड ..............5 जुलाई 1996 ................नाटिघम
20 वां शतक ........126 रन .......न्यूज़ीलैंड .........13 ओक्टुबर 1999 ...........मोहाली
30 वां शतक ........193 रन ........इंग्लेंड ...........23 अगस्त 2002..............लीडस
40 वां शतक ........109 रन .......ओस्ट्रेलिया ......6 नवम्बर 2008 ............नागपुर
50 वां शतक ........107 रन .......दक्षिण अफ्रीका .........19 दिसम्बर 2010........ .सेंचुरियन
                                                  तो ये था हमारे महान बल्लेबाज़ मास्टर ब्लास्टर सचिन  तेंदुलकर की जिंदगी का एक शानदार सफ़र जो आज भी जारी है ! उनका ये जूनून आज की उभरती  नोजवान पीड़ी  को अपना सफ़र जारी रखने मै हिम्मत और ताक़त की याद दिलवाती रहेगी और उन्हें भी सचिन की तरह उँचइयो को छु सकने का रस्ता बताती रहेगी ! वो उनके  इस एहसास को बनाये रखएगी की ....................
                                 कदम चूम लेती है खुद आके मंजिल !
                                 अगर राही खुद अपनी हिम्मत न हारे !!