


देखो दूर क्षितिज पर कैसा |
अनुपम दृश्य बना है ऐसा |
देख - देख कर मन की मैना |
बोल रही सुन्दर है बिछोना |
कैसे मैं पाऊं उडकर जाऊं |
या मैं कुछ ऐसा भेष बनाऊं |
तुम्ही बताओ युक्ति ऐसी |
जिससे तुमको गले लगाऊं |
आँख करो तुम इस और जरा |
कितना अथाह है शीतल भरा |
ममता विहीन क्या मन तेरा |
जो काँप रहा है ये जन तेरा |
पास नहीं आई थी जब तक |
आस नहीं थी तेरी तब तक |
कहती नहीं अब तुझसे कुछ |
बोल समाई क्यु दृष्टि में तब |
जब नहीं गगन से तेरा मेल |
फिर क्यु करती तू ऐसा खेल |
सचमुच दुखों को न तू झेल |
आ-जा आ-जा तू करले मेल |