आह और वाह है ये जिन्दगी


उम्र कि दहलीज पर सरपट आगे दौड़ती |
उलझनों को सुलझा कर राह को मोड़ती |

एक साँस ,एक आस और  एक विश्वास |
हरेक के जीने का मकसद ही कुछ खास |

कौन समझ पाया इसके मुकम्मल मायनें |
कभी ठहरी , कभी भागती इसके हैं बहानें |

हर नाकामयाबियों के बाद बंद मुठ्ठी खोलती |
एक शक्ति , एक विश्वास का संचार घोलती |

हर संघर्ष के बाद उल्लास का नाम जिन्दगी |
हर ख़्वाब को हकीकत का नाम देती जिन्दगी |