सिर्फ एक गुजारिश




बादलों में आज फिर एक शोर हुआ |
बादल बारिश बन धरा से मिलने उतरी | 
रिमझिम बूंदों के कोमल स्पन्दन से ...
धरा की कोख में फिर एक अंकुर फुटा |
सुन्दर कोमल कली के जन्म के साथ ...
माँ ने सुन्दर एक रचना को आकर दिया |
प्यार , दुलार और संरक्षण पाकर |
पौधे ने अब पेड़ का है रूप लिया  |
फल , फूल छाया को खुद में सजा ...
फिर से सृष्टि कि रचना को तैयार किया |
फिर नारी शब्द से इतनी नफरत कैसी ?
स्त्री के बिना जो होगी वो कुदरत कैसी ?
उसके बिना तो हर श्रृंगार ही अधूरा है |
उसके बिना प्रेम का न कोई पाठ पूरा है |
शक्ति बिना शिव का आस्तित्व ही नहीं |
बिन राधा के कृष्ण का हर रास अधूरा |
सहनशीलता , सृजन का पर्याय है नारी |
धडकनों में चलने वाली रवानगी है नारी |
उसके बिना सृष्टि की हर रचना अधूरी |
सोचो - २  बिन कन्या के कोई बात कैसे हो पूरी ?
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