खामोश रात


ए रात की तन्हाईयों , मुझको लगा लो सीने से |
डर लगता है अब  , ख़ामोशी भरे इस मंजर से |

वस्ल की रात है  , राहत से बसर अब होने दो |
न रहे गिला कोई , धमकी का असर भी होने दो |

लोग कहते हैं दीवाना , इस पर भी यकीं करने दो |
न रहे तमन्ना अधूरी , उस पल से भी गुजरने दो |

है आग मुझमे भडकने की , कहाँ है  इंकार हमें |
न दो हवा इतनी , चलो अब थोडा  सँभलने दो |

वो चाहता है हमें , ये बात जो वो दावे से कहता है |
दो दर्द ऐसा , अहसासे बयाँ को महसूस करने दो |

जुदाई का है आलम तो , जुदाई का ही मंजर होगा |
है इतनी गुजारिश , सह लेने तक की हिम्मत  दो |

चांदनी रात जो है  तो ,  ख़ामोशी अच्छी नहीं लगती |
तारों से कुछ देर और , ठहर जाने की मोहलत ले लो |

महफ़िल सजे ऐसी , गिरफ्त में उसकी हम आ जाएँ  |
वक्त से चुराकर चंद लम्हे , चले जाने का वादा करलो |

अंदाजे जिंदगी

Birds Wallpaper of two birds sitting on a tree
तपती रेत में चलो बारिश में नहा कर देखो |
जिंदगी क्या है जरा बाहर तो  आकर देखो |

बंद किताबों के पन्नों को पलटकर क्या होगा |
हकीकत जिंदगी की , शब्दों में उतरकर देखो |

देखकर के चमन को दूर ही से परखना कैसा |
खुशबुएं हसीन नजाकत को छू - छूकर  देखो | 

महफ़िलों में क्यु छलक जाते है गम के आंसूं |
इसका सबब तो दीवानों की दीवानगी से पूछो |

रात भर जली शमां सुबह क्यु दम तोड़ दिया |
ये अंजामें सफर रात भर जलते परवानो से पूछो |

कीचड़ में रहकर खुदको महफूज रखना हो  कैसे  |
ये राजे हकीकत कीचड़ में खिले  कमल  से पूछो |

गम तो है जिंदगी में फिर भी ये इतनी हसीं क्यु है |
अंदाजे जिंदगी से ही  इस बात  का तुम पता पूछो |


कौन गुनाहगार

 
मौसम तो अपनी चाल से , चलता है |
वक्त के साथ , अपना रंग बदलता है |

सुबह की धूप आकर , जहां ठहरती है |
सांझ होते ही ,  दामन समेट लेती है |

तेज बारिशों का , दोष नहीं है तबाही |
ये प्रकृति से की गई छेडछाड कहती है |

होश वाले भी जब  ,  होश गंवा सकते हैं |
बदहवासों को , किस बात की मनाही है |

इतनी गमगीन नहीं है , जिंदगी की राहें |
ये बीते वक्त की बीती कहानी कहती है |

नाकामयाबियों में , वक्त का नही है दोष |
ये वक्त के साथ न चल सकना  कहती है |

जेहन में दर्द के बादल , घने कितने रहे |
सुकून दबे पाँव, दस्तक लगा ही देती है |