है इंसा कि शिकायत कि मुझको कुछ नहीं मिला



हर बज्म में बैठे और खुदको साबित भी कर लिया |
फिर भी रही शिकायत की  हमको कुछ नहीं मिला |

चोखट को अपनी छोड़कर अरमान दिल में ले चले |
पर इतने बड़े जहां में भी कोई अपना सा न मिला |

दिल थाम कश्ती को तूफान के हवाले था कर दिया |
सागर के गर्भ में उतर कर भी हमें कुछ नहीं मिला |


काली अँधेरी  रातों में चाँदनी ने पूरा साथ था दिया |
जिसकी थी दिल में ख्वाइश उसका ही न पता मिला |

इसका - उसका करके खुद के हिस्से में दर्द था लिया |
दर - दर कि ठोकर खाकर भी हमको कुछ नहीं मिला |

ख्वाइश का था ये दिलकश सफर तो वो कैसे हार जाती |
अंधा होता है ये सफर इसलिए इंसा को कुछ नहीं मिला |