सुनो न प्रिय ..
चूड़ी की खन - खन
पायल की छम - छम
हमें भाती नही है ।
ये शब्दों की लुका - छिपी
हमें आती नही है ।
पल - पल में बदल जाना
जान लेती है कई मर्तबा ।
ये रिश्तों में रंजिशें
हमें सताती बहुत है |
सुनो न प्रिय ..
कागज़ ,कलम ,
स्याही का गहना हमें दिला दो ।
इतिहास के पन्नों में ...
कुछ गड़ने की सलाह दो ।
देश के हित में ...
कुछ कर गुजरने का अरमान है |
जन - जन की खातिर जागा
दिल में एक सपना है |
सुनो न प्रिय
ये घूँघट में लिपटी देह में
घबराता है मन मेरा ,
पल - पल के तिरस्कार से ...
काँप जाता है देह सारा ।
ज्यादा नही , बस थोड़े से ही
की तो , तमन्ना है ।
नीले गगन को जी भरके निहारने का
सपना है ।
न बंधन हो कोई और न हो कोई इल्तजा ।
सफर चलता रहे युही ...
हम दोनों के दरमियाँ ।
चूड़ी की खन - खन
पायल की छम - छम
हमें भाती नही है ।
ये शब्दों की लुका - छिपी
हमें आती नही है ।
पल - पल में बदल जाना
जान लेती है कई मर्तबा ।
ये रिश्तों में रंजिशें
हमें सताती बहुत है |
सुनो न प्रिय ..
कागज़ ,कलम ,
स्याही का गहना हमें दिला दो ।
इतिहास के पन्नों में ...
कुछ गड़ने की सलाह दो ।
देश के हित में ...
कुछ कर गुजरने का अरमान है |
जन - जन की खातिर जागा
दिल में एक सपना है |
सुनो न प्रिय
ये घूँघट में लिपटी देह में
घबराता है मन मेरा ,
पल - पल के तिरस्कार से ...
काँप जाता है देह सारा ।
ज्यादा नही , बस थोड़े से ही
की तो , तमन्ना है ।
नीले गगन को जी भरके निहारने का
सपना है ।
न बंधन हो कोई और न हो कोई इल्तजा ।
सफर चलता रहे युही ...
हम दोनों के दरमियाँ ।