आज मैं बहुत खुश हूँ की मैं अपनी प्रिये भाषा का वर्णन उसी की भाषा में करने जा रही हूँ मै सभी हिंदी भाषी प्रेमियों का तहे दिल से शुक्रगुजार हु की आप सब लोगों की कोशिशो की वजह से हम अपने विचारो को अपनी मात्रभाषा के रूप व्यक्त कर पा रहें हैं | जिसका हमे गर्व है की वो मूल [ जड़ ] जो कहीं दब गई थी आज फिर से उठने की कोशिश करने लगी है और एक बड़ा वृक्ष बनने की भरपूर कोशिश में हैं इसको बड़ने में भले देर हो सकती है पर अगर हम सब मिलकर इसे सींचते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब ये फल देना शुरू कर देगा और इसके मीठे स्वाद से हर कोई परिचित हो जायेगा |
किसी भी भाषा का ज्ञान होना अपने आप में बहुत गर्व की बात है हम जितनी ज़यादा भाषा सीखे उतनी अच्छी तरह से लोगो के विचारों को समझ सकते हैं , भाषा की जानकारी से ही हम एक दुसरे के विचारो को आपस में बाँट सकते हैं | जहाँ तक हिंदी भाषा का सवाल है तो एक भारतीय होने के नाते हमें इस पर गर्व होना चाहिए और हर भारतीय को इसका ज्ञान होना बहुत जरुरी है | हम हिंदी भाषी होते हुए भी अपने देश में इसका इस्तेमाल न करके दूसरी भाषा को बढावा देते रहे ? ये सब क्यु हुआ ऐसा सोच कर भी हमे शर्म आती है |सबसे पहले हमें अपनी भाषा को सम्मान देना चाहिए उसके बाद दूसरी भाषा की जानकारी रखते हुए देश को आगे ले जाना चाहिए बात तो वही है पर उसके थोड़े से फेर बदल से हम अपने देश और भाषा दोनों का सम्मान कर सकते हैं | हमारे देश में ज्यादातर लोग गरीबी रेखा से नीचे के हैं ,जिन्हें दो वक़्त की रोटी न मिल पा रही हो वो नेताओ दवारा दिए गए किसी ऐसे भाषण को कैसे समझ पाएंगे जिस भाषा का उनके जीवन में दूर -२ तक कोई ताल्लुख ही न हो | भाषा संवेदनाओ को व्यक्त करने का माध्यम होता है और हमारी भाषा उसे बड़ी आसानी से समझा देती है , जब इतनी प्यारी भाषा हमारे पास है तो हमें किसी और भाषा को अपनाने की क्या जरुरत है हमें तो इसका सम्मान करना चाहिए | पहले हमेशा दिल में ये ख्याल आता था की क्या कभी इसे भी कोई स्थान मिल पायेगा या नहीं पर अब धीरे -२ ये एहसास होने लगा है की हमारी देश की जनता को भी इसकी अहमियत का पता चलने लगा है तभी तो वो अपने घर की चार दीवारों में मज़े ले -२ कर बोलने के पश्चात् अब सार्वजानिक स्थानों तथा बड़े -२ मंचो में भी बेहिचक बोलने में शर्म महसूस नहीं करते आज हिंदी भाषा की मांग को देख कर लगता है की हमारा देश फिर से अपने संस्कारो की और रुख करने लगा है जिसे वो विदेशियों की भाषा बोलते -२ भूलने लगा था | आजकल दफ्तर , बैंकिंग , मिडिया , अध्यापन के क्षेत्र में इसकी मांग बढती जा रही है और जो युवावर्ग हिंदी प्रेमी हैं उनके अन्दर ख़ुशी की लहर दौड़ने लगी है |
आज हिंदी को सिखाने की ललक हमारे देश में ही जोर नहीं पकड़ रही बल्कि विदेशी लोग भी हमारे देश की बहुरंगी सस्कृति को जानने के लिए हिंदी भाषा सिख रहे हैं | संस्कृति के अलावा जो विदेशी कम्पनियां भारत में अपने बाज़ार और कारोबार का विस्तार चाहती हैं वे भी अपने कर्मचारियों को हिंदी सिखने के लिए प्रेरित कर रही हैं इस तरह कई देश में जैसे जापान , चीन , रूस , इंग्लैंड , और कोरिया आदि में हिंदी पढ़ने - पढाने का काम चल पड़ा है इसकी जानकारी रखने वालों को इसके जरिये रोज़गार भी मिल रहा है |
जब बात हिंदी की हो ही रही है तो में भी आपके साथ अपना एक अनुभव बाँटना चाहूंगी , हमारी एक विदेशी दोस्त हैं जिसने अपने देश के संस्कार , भाषा को न छोड़ते हुए हमारी हिंदी भाषा का ज्ञान हमारे साथ रह कर ही सीखा | आज वो अपने देश से दूर रह कर भी हिंदी भाषा के माध्यम से अपने अनुभव हमसे बाँटती है और अपने परिवार और देशवासिवो के साथ अपनी ही भाषा से सम्पर्क बनाये रखे है वो बड़े गर्व से हमारे देश में रह कर बिना किसी की मदद से हिंदी भाषा के माध्यम से अपना रोज़गार आसानी से चला रही है | ये सब देख कर लगता है की जब दुसरे देश के लोग हमारी भाषा के माध्यम से इतनी आसानी से रोज़ी - रोटी कमा सकते हैं तो हम पीछे क्यु रहे ? क्यु न हम अपने आप अपने देश में अपनी भाषा की एहमियत को समझते हुए उसे पूरा सम्मान दे जिससे कोई दूसरा देश हमारी इस कमजोरी का फायदा न उठाते हुए हमसे आगे निकल जाये और हम अपनी ही भाषा को बोलने मै शरमाते रह जाये |
जय हिंद !
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