जीवन का जीवन से परिचय ही हमे जीने की कला सिखाता है ! जिस तरह सारा समाज सारी शिक्षा हमे तब तक सही राह नहीं दिखा सकती जब तक हमे जीवन को जीने का सही ज्ञान प्राप्त न हो जाये ! जीवन को सही से जीने के लिए मनुष्य के अन्दर सकारात्मक सोच का होना बहुत जरुरी है क्युकी इन्सान के अन्दर हर वो गुण मोजुद हैं जेसे अच्छी सोच ,प्यार , क्षमा , क्रोध बस उसे तो इन सब का इस्तेमाल सही जगह पर करने की देर है ! अगर हम किसी से प्यार करते हैं तो वो भी सच्चे दिल से करे ओर राह में कोई भी बाधा आये तो उससे भी न डरे और अगर किसी से नफ़रत करते हैं तो वो भी खुल कर करे उसमे भी कोई मिलावट नहीं होनी चाहिए हमे अपने सभी एहसासों को खुल कर जीना चाहिए और एक आज़ाद जीवन जीने की कला सीखनी चाहिए ! आज का मानव न तो खुल कर अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पता है बल्कि उस पर मुखोटा चढ़ा कर कुच्छ और ही प्रदर्शित करता है ! दिल कुच्छ और चाह रहा होता है और बहार से न चाहते हुए भी हम उसे अपना लेते हैं ! जिस वजह से हम अन्दर से भी परेशान होते हैं और बहार से भी ! जेसे उदाहरण के लिए हम कही जा रहे हो और हमारे सामने से हमारा कोई एसा परिचित हमे मिल जाये जिसे हमारा दिल उसे पसंद ही नहीं करता पर समाज मै इज्ज़त बनाये रखने कि खातिर हमे उसे नमस्कार करना ही पड़ता है और उसके जाते ही हम उसे अपशब्द कहते हैं तो हमे न चाहते हुए भी परेशानी झेलनी पड़ती है ! क्युकी जो हमारा दिल कहता है वो हम दुनिया की वजह से कर नहीं पाते और वो सब करते चले जाते है जिसे दिल ने कभी चाहा ही नहीं और झूठी जिंदगी जीते चले जाते हैं और अपनी आत्मा को सताते रहते हैं इस वजह से न आत्मा के साथ इंसाफ कर पाते हैं और न ही खुद चैन से रह पाते हैं ! इसलिए हमे दोहरी जिंदगी न जी कर इकहरी जिंदगी जीनी चाहिए ! जीवन जिओ तो एसे जियो जो आपका अपना दिल कहता है जो आपकी अपनी आत्मा स्वीकारती हो , दूसरों को दिखाने के लिए जिए तो क्या जिए उसमे न हम अपने लिए कोई न्याय कर पाते हैं और न उनके लिए जिनकी वजह से हम एसा करते हैं क्युकी जीवन जीने का सही तरीका है उसे दोहरे मापदंड से नहीं एक ही तरह से जीना ! जिससे हमारा जीवन हमे बंधन न लगे और हम इस जीवन का भरपूर आनंद उठा सकें और इसके हर पहलु को ख़ुशी ख़ुशी जी सकें !
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