यु न कहो पत्थर दिल

क्यु इतना प्यार दिखाती हो 
उस पर लुट जाना चाहती हो 
फिर हर बार क्या सोच कर तुम 
उससे खुद को यु बचाती हो 
क्या तेरे दिल मै प्यार नहीं ?
क्या उसके जेसा एहसास नहीं 
फिर बार बार उस तक जाके 
क्यु लोट जाना चाहती हो 
उसके एहसास जगाती हो 
उसके अरमान सजाती हो 
जब वो सपनो मै रंग भरता है 
तो क्यु........  बेरंग उसे कर आती हो 
फिर क्यु उसका अच्छा तुम चाहती हो
 उसके अरमान जगाती हो 
अपने को यु पत्थर  दिल कह फिर 
क्यु  उसका दिल  यु दुखाती हो ? 

5 टिप्‍पणियां:

खबरों की दुनियाँ ने कहा…

अच्छी अभिव्यक्ति । सहज-सरल अभिव्यक्ति ।

vats gunprakash ने कहा…

Good Deer

Minakshi Pant ने कहा…

शुक्रिया दोस्त !

Arun M ........अ. कु. मिश्र ने कहा…

seedhe shabdo me sateek baat.......good. Appreciated.

Minakshi Pant ने कहा…

thanx dost