हाय रे ये बजट

आज बजट की तर्ज में कुछ बात कहते हैं |
ब............. बढ़ने 
ज ............ जा रहें हैं |
ट ............. टैक्स 
वैसे भी बजट और टैक्स का 
रिश्ता आशिकाना है |
तू जहां - जहां चलेगा की तर्ज पर 
महंगाई  ने प्रेमिका बन 
उसके पीछे - पीछे  जाना है |
बजट के आते ही 
अख़बारों और दूरदर्शन ने 
महंगाई  - महंगाई गाना है |
सरकार का वेतन बढ़ाके 
फिर टैक्स के रूप में 
वापस ले जाना है |
फटी कमीज़ की जेब से 
जो थोड़े बहुत पैसे बचेंगे |
वो घर के खर्चे और स्कूल की 
फीस में चले जाना है |
जब बजट और टैक्स में 
आदमी को फंसते  जाना है |
तो एक वर्ग भ्रष्ट और 
आम आदमी को दिन - रात
इसी में पिसते जाना है | 

6 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति ।

Unknown ने कहा…

मेरा भी ब्लॉग देखे और अच्छा लगे तो फोलो करे ।
www.pradip13m.blogspot.com

रश्मि प्रभा... ने कहा…

yahi kissa her saal ka hai

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

hai re budget...yahi to durgati hai...!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बजट की गजब व्याख्या।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बजट की सटीक व्याख्या ... यही होता है हर साल