जिंदगी में हाँ - हाँ करते रहने में
कितना अच्छा होता है |
सब कुछ सहज और सरलता से
चलते रहता है |
न ही तकलीफ न ही कोई दर्द
सिर्फ हाँ और हाँ ?
पर उसमें अपना वजूद
अपनी आत्मा
कहाँ दब जाती है ,
इसकी तो किसी को
खबर ही नहीं होती |
दूसरे का व्यक्तिव तो सिर्फ
हाँ - हाँ सुनने का
आदि जो हो जाता है |
और जिस दिन ...
ना शब्द जुबान पर आता है
एक तबाही सी ले आता है
जीवन तो मानों
रुक सा जाता है |
पर उस दिन ... इंसा का
एक नया जन्म होता है
पर वो अपने साथ बहुत से
विवाद और परेशनियों को भी
साथ लाता है
ये भी सच है कि वो
उसके लिए एक हिम्मत
बनकर आता है |
जीवन को अपनी तरह से
जीने का अंदाज़ सीखता है |
वो खुद के लिए हाँ - हाँ
और दूसरे के लिए
ना - ना हो जाता है |
वही ' ना ' जिंदगी के
हर पहलुओं से
हमें मिलाता है |
हमारी एक छोटी सी ' ना '
हमारे व्यक्तित्व को ही
बदल जाता है |
इसलिए हाँ - हाँ
कहना तो अच्छा है
पर ना - ना भी बुरा नहीं |
22 टिप्पणियां:
कभी हां, कभी ना.
ना में छुपी है अपनी खुद की सोच जो उजागर करती है अपने व्यक्तित्व को ..बहुत गहन विश्लेषण ... बहुत पसंद आई यह रचना
इसलिए हाँ हाँ
कहना तो अच्छा है
पर ना-ना भी बुरा नहीं '
.............सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस यहीं से मिलता है
कभी हां, कभी ना.दोनों ही का जीवन में महत्व है...
वाह ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बेहतरीन...
सिर्फ हाँ और हाँ ?
पर उसमें अपना वजूद
अपनी आत्मा
कहाँ दब जाती है.....
सुन्दर रचना...
सादर...
sunder aur bhaavpurn prstuti....
मीनाक्षी जी ......जिन्दगी में एक बार कही गई "ना"...किस तरह का वबाल खड़ा कर सकती है ...ये कोई भुक्त भोगी ही बता सकता है
आपकी कविता दिल को छू गई ...आत्मसम्मान से भरी हुई कृति ..............आभार
byhut badiya abhibyakti.haa ke saath shaleentaa se naa kahanaa bhi aanaa chahiye.yahi jamaane ki reet hai.itani achchi rachanaa ke liye badhaai aapko.
व्यवहारिकता भी यही है
न हाँ की, न ना की,
बस कह दी बात जुबां की।
अच्छा लगा इसे पढ़ना।
कभी हां, कभी ना.
वाह ...बेहतरीन
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ||
बधाई ||
bahut hi sunder aur satya vachan.........
नमस्कार मीनाक्षी जी
आज पहली बार आपकी कई रचनाये एक साथ पढ़ी. बहुत खूब.ख़ुशी हुई. सीधी सच्ची, मन की गहराई तक उतरती रचनाये. बधाई.
gahra anubhav hai ,magar galat ahsaas bhi hona jaroori ,magar wahi himmat nahi kar pata insaan ,sundar
जिंदगी में दोनों का अपना महत्त्व है...बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
वाह कितना सुन्दर लिखा है आपने, बहुत सुन्दर जवाब नहीं इस रचना का........ बहुत खूबसूरत.......
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
न ही तकलीफ न ही कोई दर्द
सिर्फ हाँ और हाँ ?
पर उसमें अपना वजूद
अपनी आत्मा
कहाँ दब जाती है ,
इसकी तो किसी को
खबर ही नहीं होती
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
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