सच मै बेजार हो गई ये दुनिया ...
लगता है हम इसे , प्यार नहीं करते |
रहते तो हैं इसके दिल मै
फिर भी इज़हार नहीं करते |
तमन्ना तो रखते है चाँद की
पर उसका दीदार नहीं करते |
खुशबु लेते हैं गुलाब की
मगर काँटों से प्यार नहीं करते |
सुनते तो हैं उसकी मगर
उसपे एतबार नहीं करते |
और कहते हैं की दुनिया ... बेजार है
पर किसी का इंतजार नहीं करते |
12 टिप्पणियां:
वाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने ...
बहुत बढ़िया.
सादर
खुशबु लेते हैं गुलाब की
मगर काँटों से प्यार नहीं करते |
तमन्नाओं से सम्बन्धित हमारे अपने गुण-दोषों का उत्तम चित्रण...
खुशबु लेते हैं गुलाब की
मगर काँटों से प्यार नहीं करते |
खूबसूरती प्रस्तुति
सुन्दर प्रस्तुति।
सोचने वाली बात है ..सुन्दर अभिव्यक्ति
बेहतरीन अभिव्यक्ति।
bhut sunder prastuti...
बहुत बढ़िया.
खूबसूरती प्रस्तुति
खूबसूरत भावनाओं की प्रस्तुति...!!
उम्दा...
बेहतरीन...
और
खुशनुमा...
और कहते हैं की दुनिया ... बेजार है
पर किसी का इंतजार नहीं करते.......
सुन्दर प्रस्तुति
खुशबु लेते हैं गुलाब की मगर काँटों से प्यार नहीं करते | सुनते तो हैं उसकी मगर उसपे एतबार नहीं करते | और कहते हैं की दुनिया ... बेजार है पर किसी का इंतजार नहीं करते |bahut hi sunder rachanaa.badhaai aapko.
please visit my blog and leave a comment also.aabhaar
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