कल्पना


सुनो हम चलेंगे साथ मिलकर के ऐसे |
ऊपर गगन में बादल विचरतें हों जैसे |
तुम देखना वो मिलन होगा ही ऐसा |
किसी ने अब तक न देखा हो जैसा |

सागर की लहरें भी थम जाएँगी ऐसे |
उनके मिलन की जुगत लगाती हो जैसे |
खुद की लहरों को खुद में समेटेगी ऐसे |
क्षितिज पर देख मिलन ठहरी हो जैसे |

सारी कायनात थम जायेगी फिर ऐसे |
उनके मिलन का जश्न मनाती हो जैसे |
भंवरों की गुंजन तब गीत गायेगी ऐसे |
खुद के होने का संकेत दे रही हो जैसे |

पंछी की उड़ानें  भी थम जायेगी ऐसे |
पैरों में उनके जंजीरे डाली हों जैसे |
नदिया की कलकल शोर मचायेगी ऐसे |
सागर से मिलने को हो वो भी बैचेन जैसे |

ये मिलन बस एक कल्पना नहीं है |
धरा और गगन का अहसास भी है |
उसके मिलन से सृष्टि थम जायेगी |
तभी तो क्षितिज पर वो मिलते है ऐसे |


15 टिप्‍पणियां:

केवल राम ने कहा…

ये मिलन बस एक कल्पना नहीं है |
धरा और गगन का अहसास भी है |
उसके मिलन से सृष्टि थम जायेगी |
तभी तो क्षितिज पर वो मिलते है ऐसे |

काश यह कल्पना स्वीकार हो जाये ....आपका आभार

vandana gupta ने कहा…

पंछी की उड़ानें भी थम जायेगी ऐसे |
पैरों में उनके जंजीरे डाली हों जैसे |
नदिया की कलकल शोर मचायेगी ऐसे |
सागर से मिलने को हो वो भी बैचेन जैसे |
bahut hi sundar kalpana.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

सारी कायनात थम जायेगी फिर ऐसे |
उनके मिलन का जश्न मनाती हो जैसे |
भंवरों की गुंजन तब गीत गायेगी ऐसे |
खुद के होने का संकेत दे रही हो जैसे |
waah

विभूति" ने कहा…

बहुत खूब.....

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर शब्द रचना| धन्यवाद|

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही उम्दा ....बहुत ही उम्दा रचना .
सभी पंक्तियाँ एक से बढ़कर एक हैं .
आभार .

Rakesh Kumar ने कहा…

ये मिलन बस एक कल्पना नहीं है |
धरा और गगन का अहसास भी है |
उसके मिलन से सृष्टि थम जायेगी |
तभी तो क्षितिज पर वो मिलते है ऐसे |

आपकी दुनिया रंग रंगीली ki यह अभिव्यक्ति
तो अदभुत और बेहतरीन है.

बहुत बहुत आभार.

मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,नई पोस्ट आज ही जारी की है.

prerna argal ने कहा…

बहुत ही सुंदर भावमयी प्रस्तुति /दिल को छु गई /बहुत बधाई आपको /



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Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

कल्पना भरी उड़ान ....बहुत खूबसूरत लगी

Dr Varsha Singh ने कहा…

ये मिलन बस एक कल्पना नहीं है |
धरा और गगन का अहसास भी है |
उसके मिलन से सृष्टि थम जायेगी |
तभी तो क्षितिज पर वो मिलते है ऐसे |

लाजवाब....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

धरा गगन का मिलन क्षितिज पर।

Neelkamal Vaishnaw ने कहा…

Minakshi jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
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सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

bahut hee khoobsuurat rachna Minakshi ji

मदन शर्मा ने कहा…

बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति |

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर "कल्पना"
आपको पढना वाकई अच्छा लगता है।
बहुत बहुत आभार