निर्माण

अपनी आहों में पहले जैसा  असर पैदा कर |
वही जोश, वही हिम्मत, वही ज़ज्बात पैदा कर |
हर किसी के दिल में वो बेमिसाल हिम्मत पैदा कर |
आदमी - आदमी का दुश्मन हरगिज न बनें |
इन्सान के अन्दर कुछ एसा जज़्बा पैदा कर |
मंजिले दूर हैं ! सफ़र तय करने की हिम्मत पैदा कर |
खुद ब खुद सर झुकाए इन्सान ...
अपने आप में एसा हुनर तू पैदा कर |
कोई न पूछेगा इस भरी दुनिया में ...
कुछ पाना है तो ... खुद के अन्दर वो जूनून भी पैदा कर |
मौत भी याद रखे ... तुझे हर हाल में ,
इसलिए अपने दिल में खुदा का डर  भी पैदा कर |
आहों में पहले जैसा असर तू पैदा कर |
आहों में पहले जैसा  असर तू पैदा कर |   

5 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

दर्द होगा तो आहों में असर भी होगा।

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

SUNDAR ABHIVYAKTI

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर आव्हान लिए रचना....

Shabad shabad ने कहा…

Kash yeh likha sach ho jaye !

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

आदरणीय मीनाक्षी पन्त जी सादर अभिवादन |सुंदर पोस्ट के लिए बधाई होली की शुभकामनाएं |