कौन जाने , कब , कहाँ कोई , राह भूल जाएँ |
अपनी उम्मीदों की शमां को , जलाये रखिये |
बारिशे तो आती - जाती है तूफ़ान गुजर जातें हैं |
बस अपने पाँव को जमीं में जमा कर रखिये |
घर की ये बात है निकले न घर से बाहर |
आप बस खिड़की दरवाजों को बंद रखिये |
बैठे रहे कोहनी टिकाये गाल पर कब तलक |
इंतज़ार में दरवाजें की दस्तक का ख्याल रखें |
हालें दिल अब तो बयाँ हो जाता है आँखों में |
मैं न कहती थी पानी है आँखों को बंद रखिये |
देर तक गरजते बादलों का शोर सुनने पर |
भीड़ का हिस्सा बने रहने से परहेज रखिये |
15 टिप्पणियां:
खूबसूरत गजल
कौन जाने , कब , कहाँ वो राह भूल जाएँ |
अपनी उमीदों की शमां को जलाये रखिये |
अच्छा लगा यह ज़ज्बा .....!!!
खूबसूरत
प्रस्तुति ।
बहुत सुंदर गज़ल..............
हां ख्यालों में खोये रहें आप...और अनसुना ना कर दें उसकी दस्तक को......
सुंदर ख़याल.
अनु
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन ख्यालों की लाजबाब गजल ,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
बेहतरीन और सुन्दर गजल..
बारिशे तो आती है तूफ़ान गुजर जातें हैं |
अपने पाँव को जमीं में जमा कर रखिये |
Bahut Sunder
बहुत सुन्दर रचना.
बैठे रहे कोहनी टिकाये गाल पर कब तलक |
इंतज़ार में दरवाजें की दस्तक का ख्याल रखें
बेहतरीन
बैठे रहे कोहनी टिकाये गाल पर कब तलक |
इंतज़ार में दरवाजें की दस्तक का ख्याल रखें |
हालें दिल अब तो बयाँ हो जाता है आँखों में |
मैं न कहती थी पानी है आँखों को बंद रखिये |
वाह बहुत खूब ।
खूबसूरत कविता जज्बातों को लिखने की अनुपम कला ।
कौन जाने , कब , कहाँ वो राह भूल जाएँ |
अपनी उमीदों की शमां को जलाये रखिये |
...bahut badiya... gar ummed na ho to phir jindagi jandagi kahan rahti hain...
sundar sarthak prastuti..
देर तक गरजते बादलों का शोर सुनने पर
भीड़ का हिस्सा बने रहने से परहेज रखिये
भीड़ ही तो नहीं छोड़ पाते हैं हम
भीड़ ही इसीलिये हो जाते हैं हम।
बहुत सुंदर !!!!
देर तक गरजते बादलों का शोर सुनने पर |
भीड़ का हिस्सा बने रहने से परहेज रखिये |
beautiful insisting lines to think.
मन में उमड़तें भावों की सुन्दर प्रस्तुति!...आभार!
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