देखो इंसानों से बड़ा पेड़
फिर भी ज़मी से जुड़ा पेड़ |
इंसानों की खातिर फिर
कितने तूफानों से लड़ा पेड़ |
धरती की पावन भूमि पर ...
चित्र सरीखे खड़ा पेड़ |
जाने किसके इंतजार मै ...
सड़क किनारे खड़ा पेड़ |
पंडित और मोलवी की बातें सुन
पल भर भी न डिगा पेड़ |
धूप रोक फिर छाया देकर ...
फ़र्ज़ निभा फिर झड़ा पेड़ |
सीने में रख हवा बसंती
आंधी में फिर उड़ा पेड़ |
खेतों में पानी लाने को
बादल से जा भिड़ा पेड़ |
फल खाए जिसने उसने ही काटा
जान शर्म से धरती में गड़ा पेड़ |
इंसा की जरूरतों को पूरा करते ...........
कटा ज़मी पर पड़ा पेड़ |
ये सब होते देख - देख फिर भी
इन्सान को शुद्ध वायु दे रहा पेड़ |
7 टिप्पणियां:
तपती धूप में ठंडी छाया के मानिंद.
सच में पेड़ों का बहुत महत्व है हमारी जिन्दगी में ...काश हम समझ पाते इनका महत्व ...आपकी रचना सार्थक है
कितने आयाम दिखाता पेड़।
@इंसानों की खातिर कितने तूफानों से लड़ा पेड़ !
सार्थक सन्देश के साथ एक सुंदर कविता. आभार .
आपकी रचना सार्थक है
इंसा की जरूरतों को पूरा करते ...
कटा ज़मी पर पड़ा पेड़ |
ये सब होते देख - देख फिर भी
इन्सान को शुद्ध वायु दे रहा पेड़ |
सार्थक रचना .....
पेड़ अधेड़ नहीं होता
अंधड़ को झेलता है पेड़
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