आवाहन


मैं बढ़ी जा रही हूँ , पर तुम्हें भूली  नहीं हुं |
जल रही हुं पर जलनें से , रौशन  हुई हुं |
ढल रही हुं पर साथ मिलता है समय का |
चल रही हुं पर साथ साया है तुम्हारा |
चाहती हुं , दो पल रुक जाऊ  साथ तुम्हारे |
पर क्या करूँ , असंख्य हाथ है मुझको पुकारे |
पथ में मैं नये चलने जा रही हुं |
पर मैं क्या तुम्हें कभी भुला पा रही हुं |
जानते तो तुम भी हो ,  हर तरफ फैला है क्रंदन |
पर मुँह फेर कर ये तो होगा न कभी कम |
विश्व की ये वेदना कहानी तो नहीं है |
भूख  से बिलखते बच्चों के खून में
रवानी भी तो नहीं है |
शांति कैसे छाए , जब वातावरण में  उदासी भरी हो |
तृप्ति कैसे होगी , जब सृष्टि ही प्यासी पड़ी हो |
ऋण न चूका पायें तो  जन्म लेना भी व्यर्थ है |
यही सोचकर पाँव पथ की और अग्रसर हैं |
सोचती हुं आज कोई गीत ऐसा  गाऊँ   |
भीग जाये ये धरा मैं नीर ऐसा  बहाऊँ  |
मानव होकर मानव की वेदना को जो न जानें   |
व्यर्थ है जीना जो उसकी पीड़ा को  न पहचानें  |
मुझमें और उसमें अंतर तो ऐसा कोई नहीं है  |
मूक हुं तो क्या उसकी व्यथा न पहचानूँ  |
प्यासे पंछी को देख , जब फट सकता है मानव मन |
तो कंकाल होते देख , प्रेरणा क्यु न देता मन |
देखती सुनती मैं रहती हुं ये हर पल |
साथ हुं तेरे न भूली हुं तुझे एक भी पल |

15 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

एकदम सच्ची अभिव्यक्ति..

संजय भास्‍कर ने कहा…

व्यर्थ है जीना जो उसकी पीड़ा को न पहचानें | मुझमें और उसमें अंतर तो ऐसा कोई नहीं है | मूक हुं तो क्या उसकी व्यथा न पहचानूँ |
बहुत सशक्त रचना... बधाई....

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

sach kaha apne !

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बिलकुल सच.

सादर

प्रेम सरोवर ने कहा…

दिल से निकली बात मन को छू जाती है। आपके पोस्ट पर पहली बार आया हूं।आना अच्छा लगा। धन्यवाद। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।

Patali-The-Village ने कहा…

एकदम सच्ची अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

रश्मि प्रभा... ने कहा…

waah

विभूति" ने कहा…

मैं बढ़ी जा रही हूँ , पर तुम्हें भूली नहीं हुं |bhut khubsurat...

OM KASHYAP ने कहा…

मन की पीडा शब्दो मे उतर आयी है

Sunil Kumar ने कहा…

सुन्दर रचना जो दिल में बस गयी बहुत बहुत बधाई

Rakesh Kumar ने कहा…

मानव होकर मानव की वेदना को जो न जानें |
व्यर्थ है जीना जो उसकी पीड़ा को न पहचानें

सुन्दर,खूबसूरत दिल की यही स्थिति होती है.यदि आपने उसका साथ लिया है और आप उसे एक पल भी नहीं भूलती तो आप खुद को ही नहीं समस्त जगत को रोशन करने की सामर्थ्य रखती हैं.
इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिए आभार.

KK Yadav ने कहा…

सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति ..बधाई.

Unknown ने कहा…

बहुत खूबसूरत पंक्तियों में पिरोया है आपने शब्दों को. दिल से निकले शब्द...

तीखे तड़के का जायका लें
संसद पर एटमी परीक्षण

Sushil Bakliwal ने कहा…

वैष्णवजन तो तेने कहिये जो पीर पराई जाने रे...

बहुत उत्तम प्रस्तुति. आभार सहित...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जीना हो, औरों के लिये भी।