मोहब्बत है तुझसे



मुझे तुमसे मोहब्बत है 
अब कैसे  तुझसे कहूँ मैं |
रात - दिन उसके ही 
ख्यालों में जीता हूँ 
ये कैसे तुझसे बयाँ करूँ मैं |
चाह कर भी तुझेको न पा पाउ
अब ये दर्द किससे कहूँ  मैं |
न जाने ये दिल का सफ़र 
क्यु एसा होता है |
जिसे  दिल चाहे वही क्यु 
सबसे दूर होता है |
जिसके दीदार को हर पल 
तडपती हैं निगाहें 
वही निगाहों से क्यु 
दूर होता है |
अब वो घड़ी आये न आये 
दिल को  हर पल 
उसका ही दीदार रहता है |
ना कहते ही उसे और ...
पास ले आता है |
मेरे कम उसके कितने 
पास होता है  ... |
कैसी होती है 
ये दिल की लगी ?
जितना भी बहलाओ 
उसके और करीब जाता है |
कितना भी दामन बचाओ  
उससे ही लिपटता जाता है |

10 टिप्‍पणियां:

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

uuffffffff ye mohobbat

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

सुंदर विचार /आलेख मोहब्बत एक शाश्वत सत्य है |इससे इनकार नहीं किया जा सकता है |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

सुंदर विचार /आलेख मोहब्बत एक शाश्वत सत्य है |इससे इनकार नहीं किया जा सकता है |

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ी गहरी है,
बहुधा बहरी है।

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
शुभकामनायें !

Rahul Singh ने कहा…

क्‍या कहने इस रूमानियत के.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अच्छी अभिव्यक्ति ..

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना| धन्यवाद|

Minakshi Pant ने कहा…

संजय जी , जय कृष्ण जी , प्रवीन जी , वर्षा जी , राहुल जी , संगीता जी और Patali-The-Village जी का मैं तहे दिल से शुक्रिया करती हूँ दोस्तों आप सबका अपना समय निकाल कर यहाँ आते रहने ने मुझे आज शुक्रिया अदा करने पर विवश कर ही दिया सच ही कहा है की किसी के भी दिल को जीतने , लिए दो बोल प्यार के ही बहुत हैं |
शुक्रिया दोस्तों |

बेनामी ने कहा…

क्या बात है मीनाक्षी जी जन्नत ही लुट ली आपके शब्दों ने