जागती आँखों में भी सपने होते हैं |
किसी के नहीं वो सब अपने होते हैं |
कैसे न देखें हम उन्हें करीब से ?
वही तो जिंदगी में सबसे करीब होते हैं |
वही तो जिंदगी में सबसे करीब होते हैं |
जाने उनमें ऐसी क्या बात होती है |
कुछ करने को वो बेकरार रहते हैं |
पर सपने तो सिर्फ सपने होते हैं |
करीब और दूर से बेखबर होते हैं |
हर सपनों को अपने सपनों में रखो |
हर मंजिल को अपनी बाँहों में रखो |
हर बार देखना जीत आपकी ही होगी |
बस लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखो |
फिर हर मंजिल आपकी अपनी होगी |
दिल में अरमानो कि एक ताबीर होगी |
फिर कैसे कहाँ कोई रोक पायेगा तुम्हें |
फिर हर शय में आपकी ही दरकार होगी |
चलो बढ़कर इस ख्वाब को गले लगालो तुम |
सपनों की इस दुनियां को रंगीन बना लो तुम |
देखो हरगिज़ न छोडना इसे पूरा होने तक |
आज अपने लक्ष्य को अभी से साध लो तुम |
10 टिप्पणियां:
बहुत सार्थक सन्देश दिया आपने.
सादर
देखो हरगिज़ न छोडना इसे पूरा होने तक |
आज अपने लक्ष्य को अभी से साध लो तुम |
जी हाँ ,अर्जुन की आँख की तरह लक्ष्य पर नजर रख जीवन में चलें,तो लक्ष्य जरूर पूरा होकर रहता है.
आपकी प्रेरणास्पद इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.
बहुत सार्थक सन्देश
लक्ष्य सी ही सधी हुई अभिव्यक्ति ......
लक्ष्य साधने होंगे,
स्वप्न बाँधने होंगे।
सार्थक और सधी हुई अभिव्यक्ति...
बधाई !!
लक्ष्य साधने का लक्ष्य.
फिर हर मंजिल आपकी अपनी होगी |
दिल में अरमान और ख्वाबों की ताबीर होगी .. bhut khubsurat panktiya positive thouhgt se bhari...
.....बहुत सार्थक सन्देश
बहुत सुंदर रचना बधाई !
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