सबकी मंजिल एक ...
नजरिया जुदा - जुदा
कोई हंस के तो कोई रोके
जीवन है जीता
कोई देके तो कोई लेके
जीवन फिर भी है चलता
कोई प्यार से ,
कोई मार से अपना
सिक्का है जमाता
समय अपने नज़रिए से
निरंतर है आगे बढती
न कभी रुकी है न रुकेगी
जीवन हर मोड़ पर
एक अनसुलझी पहेली
जिसे सुलझाते हुए
आगे बड़ते जाना है |
न ये तेरी , न ही मेरी
विरासत में कुछ पल के लिए
हमको - तुमको है मिली
आओ कुछ एसा कर दे कि
इसका एहसान उतर जाए
कौन आएगा पलटकर
फिर अपने आस्तिव की
तलाश में ...
आज का गुजरा पल
कल ... हमको देने वाला नहीं
सोने - चाँदी की ठेरी
हम कब तक साथ
रखतें हैं ...
आपस के एहसास ही तो
हमारे हरपल साथ रहतें हैं |
फिर निर्णय लेने में
इतनी देरी क्यु कर हो
बदल लो आजसे ही जीवन
की सफल जीवन हमारा हो |
13 टिप्पणियां:
ज़िंदगी जीने का नजरिया ..अच्छा लगा ..
बेहतरीन!
aadarniya meenakshi ji,
har baar ki tarah behtreen
आपस के एहसास ही तो
हमारे हरपल साथ रहतें हैं |
bahut badiya aur 100% sach
bahut achcha najariyaa jindgi ke prati.bilkul sahi likha aapne.badhaai.
तभी जीवन में इतने रंग हैं।
सबकी मंजिल एक ...
नजरिया जुदा - जुदा
कोई हंस के तो कोई रोके
जीवन है जीता
बहुत सुन्दर व्याख्या जीवन की....
सच सबका अपना अपना नज़रिया ही होता है ।
jeevan ko safal banane ke liye gur de rahe ho kya??:)
payari see rachna...
aajkal to aapne hamare blog pe bhi aana chhod diya:)
jeene ki seekh deti rachna,,,,,,,,,,,,,,,,
बहुत सुंदर कविता।
najariya accha laga... hamko bhi ek najriya jindgi jeene ka... sunder prstuti....
सुंदर रचना
jeevan ka sandesh deti rachna
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