तभी तो हर एक इंसान में है खूबसूरत कलाकार |
इसलिए खुद को साबित करना पढता है हर - बार |
जैसे मिटटी से बर्तन बनाता है कुम्हार बार - बार |
इंसान कि क़ाबलियत उसका परिचय बतलाती है |
वो सब न दिखे तो इंसानियत जाहिल कहलाती है |
मन कि आँखों से देखने का समय किसके पास है |
बाहरी आकर्षण ही तो आज के युग कि पहचान है |
इसलिए ही अपनी योग्यता को सब गड़ते चले चलो |
सुनहरी पन्नों में अपना नाम दर्ज करते चले चलो |
देर हो गई तो देखो सबसे पीछे हम आज रह जायेंगे |
फिर लाख कोशिशों के बाद भी उनको न पकड़ पाएंगे |
तभी आज कि दुनिया का यही जीने का है फलसफा |
ऐसा न हुआ तो सबकी जिंदगी से हो जायेंगे रफा- दफा |
17 टिप्पणियां:
सुन्दर गीत.... कुछ पुरातन विम्ब को नए तरह से संजोया गया है....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
सुंदर भाव और अभिव्यक्ति
वाह
बहुत ही भावपूर्ण रचना बधाई
इंसान कि क़ाबलियत उसका परिचय बतलाती है |
वो सब न दिखे तो इंसानियत जाहिल कहलाती है |
बहुत ही सुन्दर रचना ...
जितना सुन्दर चित्र, उतनी प्रेरक कविता।
सुंदर भाव...
सृष्टि कि खूबसूरत रचना में हर कोई है लाजवाब |
तभी तो हर एक इंसान में है खूबसूरत कलाकार |
.....सही कहा ..सार्थक प्रस्तुति.....आभार...
सुंदर और प्रेरक संदेश देती रचना.
रामारम.
सुन्दर अभिव्यक्ति
खुबसूरत गीत.....
बहुत प्यारीबातें कहीं।
शुक्रिया।
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ये रंगीन चित्रावलियाँ।
कसौटी पर शिखा वार्ष्णेय..
सृष्टि कि खूबसूरत रचना में हर कोई है लाजवाब |
तभी तो हर एक इंसान में है खूबसूरत कलाकार |
ईश्वर ने तो अपनी हर कृति को विशिष्ट व कला परिपूर्ण बनाया है। सुन्दर अभिव्यक्ति ।
sunder bhav ke sath sunder abhivyakti.........
मन कि आँखों से देखने का समय किसके पास है |
बाहरी आकर्षण ही तो आज के युग कि पहचान है |
bitter reality..
awesome verses
loved all of them
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जितनी अच्छी कविता है उतना ही अच्छा चित्र भी.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
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