बह जाने दो इन अश्कों को न रोको इन्हें ...
जो रोज बह जाने की जिद्द तुमसे करते हैं |
जुबाँ से जब ये कुछ कह नहीं पाते ...
तो आँखों से होकर गुजर जाने को तडपते हैं |
बिछडे हुए तो हमें सदियाँ कई बीत गई |
यादों का अहसास दिल में अभी बहुत बाकि है |
अब पहली सी वो बातें - मुलाकाते तो नहीं ,
पर उन लम्हों की कसक थोड़ी - थोड़ी बाकि है |
पर उन लम्हों की कसक थोड़ी - थोड़ी बाकि है |
अब न ही कोई उम्मीद न आस रही बाकि है |
ये तो सब चर्चाएँ ही हैं जो रोज सर उठाती है |
किसी के कहने से बात कब कहाँ बनी है कभी |
अब तो खुद से खुद को समझाना ही बाकि है |
ये आंसुओं का अब रह गया एक दरिया है |
इन्हें न अब रोककर बेबाक बहा देना बाकि है |
इन्हें न अब रोककर बेबाक बहा देना बाकि है |
अभी तो दिल में दबी बहुत सी बात बाकि है |
सवाल बहुत हैं जो तेरे - मेरे दरमियाँ बाकि है |
अभी न खत्म होगी गुफ्तगू रात अभी बाकि है |
अभी तो हमारे बीच में कई राज़ और बाकि हैं |
अभी इसको निभाने की कसम कहाँ खाई है मैंने ,
अभी इसको निभाने की कसम कहाँ खाई है मैंने ,
अभी तो दोस्ती निभाने की सौगात बाकि है |
अभी आसमां में चमकता छोटा सा तारा हूँ मैं ,
जिंदगी में करने मुझे बहुत काम बाकि है |
कैसे भूल सकती हूँ मैं उन हसीं बातों को ,
जिनके सवालों के जवाब देने अभी बाकि हैं |
17 टिप्पणियां:
आपके भाव समुन्द्र से घुमड़े बादल अनुपम
बरसात कर रहे हैं ,मीनाक्षी जी.
आपकी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार
प्रकट करने के सिवाय और शब्द नहीं मेरे पास.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.
sundar prastuti minaxi jee
अभी न खत्म होगी गुफ्तगू रात अभी बाकि है |
अभी तो हमारे बीच में कई राज़ और बाकि हैं |
अभी इसको निभाने की कसम कहाँ खाई है मैंने ,
अभी तो दोस्ती निभाने की सौगात बाकि है |
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
वाह ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
बहुत ही खुबसूरत रचनाये....
अब न ही कोई उम्मीद न आस रही बाकि है |
ये तो सब चर्चाएँ ही हैं जो रोज सर उठाती है |
किसी के कहने से बात कब कहाँ बनी है कभी |
अब तो खुद से खुद को समझाना ही बाकि है |
achhi prastuti ...
आँखों को बहने दो निर्झर..
sunder bhav..........
सुंदरतम अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.
रामराम.
अब पहली सी वो बातें - मुलाकाते तो नहीं ,
पर उन लम्हों की कसक थोड़ी - थोड़ी बाकि है |
फिर वो भूली सी याद आयी है.....
सुन्दर प्रस्तुति
khubsurat bhav.
अभी न खत्म होगी गुफ्तगू रात अभी बाकि है |
अभी तो हमारे बीच में कई राज़ और बाकि हैं |
अभी इसको निभाने की कसम कहाँ खाई है मैंने ,
अभी तो दोस्ती निभाने की सौगात बाकि है |
बहुत सहजता से प्रेममयी और मनभावन भावनाओं को अभिव्यक्त किया है आपने ....यह पंक्तियाँ बहुत गहरे अर्थ ध्वानित करती हैं ..!
बहुत ही खुबसूरत रचनाये|
बेहतरीन शब्द संचयन, सारगर्भित कविता बधाई
very deep emotions n well expressed !!!
उत्कृष्ट रचना...
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